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H.K. Joshi Joshi

Horror

4  

H.K. Joshi Joshi

Horror

रक्तपिपासु वैम्पायर लव

रक्तपिपासु वैम्पायर लव

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".... कैसे खाया जाएगा ?"

भरत उस पुड़िया में रखा, सफ़ेद पाउडर जैसी बस्तु को उस नौजबां लड़की को दिखाता हुआ बोला।

    पहले इस दूध को गर्म करके इस में पाऊडर को घोलों और फिर गट गट कर एक सांस में पीजाओ।वह अपनें हाथ का इशारा करते हुए भरत को बतानें लगी।

"ओ आई सी......".फिर आगे।

भरत हाथ का ईशारा करते हुए बोला।

"फिर ख़जूर खाओ....और फ़टाफ़ट.......।"

"और फ़टाफ़ट.........क्या ?"

भारत उसे आश्चर्य से देखता हुआ बोला।

मेरा मतलब है कि ,जब तुम इसको पी लोगें तो हम काम पर फ़टाफ़ट शुरू हो जाएँगें।वह कहती हुई लजाकर नीचें मुख करके मुश्कराई।

"ठीक है, मैं इसे अबश्य पीता हूँ।"

और फिर अगलें चंद मिनटों में भारत उस पाऊडर नुमा औषधी को एक काँच के गिलाश में डालकर उस युवती के बताए अनुसार एक सांस में पी चुका था,।पैकेट में रखें ख़जूर अभी भी उसके सामनें की मेज पर ज्यों के त्यों पड़े थे।अब इन ख़जूरों को तो तुम मेरे साथ खा ही सकती हो।

रहनें दो, मैं नहीं खाऊँगी बरना.......।

बरना क्या ?।

यही कि मेरे ख़जूर खानें से तुम्हें ही अधिक प्रॉब्लम होगी।

वह नीचें नज़रें झुकाए हुए बोली।

कैसी प्रॉब्लम ?

भरत उसके चेहरे को घूरता हुआ बोला।

यही यार तुम मुझें ख़जूर खाने के बाद पूरी तरह सन्तुष्ट ....बस करो, हरेक बात नहीं पूँछनी चाहिये तुम्हें।

वह नाज़नीन अदा से इठलाती हुई बोली।

बस यही तुम्हारी आदत मुझें अच्छी नहीं लगती।

भरत उस से रूठता हुआ बोला।

अच्छा अगर तुम चाहतें हो तो मैं बस दो ख़जूर खा लेती हूँ।

और फिर उस नाज़नीन नें अदा से ख़जूरों को एक एक कर खा लिया।उसी के साथ भरत भी आपनें शरीर में उस अनाम औषधी का प्रभाव महसूस कर नें लगा था,इसलिए वह उसका हाथ पकड़ते हुए बोला।

अच्छा चलो बैडरूम में चलतें हैं।

 अगलें पल वह सुन्दरी भरत का हाथ पकड़ती हुई बैडरूम में ले जा चुकी थी, और भरत भी उसकी किसी बात का प्रतिरोध नहीं करता दिखाई दिया ,शायद यह उस दवा का ही कमाल था।

          चलो अपनें कपड़ें जल्दी से उतारों।

कमरें में अंदर आतें ही भारत नें उस अपनीं खूवसुरत गर्लफ्रैंड से कहा ,साथ ही उसे जल्दी से उसकी कमर पकड़कर उसको उठाकर अपनें बैड पर पटक दिया, साथ ही वह उसके ऊपर झुकता चला गया।

ए ठहरों ? .....इतनीं जल्दी भी क्या है ........अभी, मेरे ऊपर से  हटो ,देखों नहीं ......मेंरी सांस फ़ूल रही है, और तुम हो कि.....बस एक तरफ़ा मैदान फ़तह कर लेना चाहतें हो।

वह खूबसूरत हसीना भरत को अपने ऊपर से एक ओर विस्तर पर धकेलती हुई बोली।

 सच में डार्लिंग तुम्हारी इस जड़ी-बूटी नें तो बास्तब में कमाल ही कर दिया है, अब देखों देर मत करो, मैं अपनें अंदर की कामाग्नि के पिघलतें हुए इस ज्वालामुखी के लावे को और नहीं सहन कर पाऊँगा ,प्लीज़ हेल्प मी।

भारत उस हसीना के अधोवस्त्रों को जल्दी-जल्दी उतारनें लगा।

ठहरों ? मैं अपनें बस्त्रों को स्वयं उतारती हूँ, थोड़ा सब्र से काम लो,और पहिलें मेरे साथ फ़ोर प्ले शुरू करो।

वह अपनें बस्त्रों को उतरनें का प्रयास करनें लगी।

मैं अपनें को रोक नहीं पा रहा हूँ, यह सब कार्य तुम फुर्सत में अपनेंआप कर लेना।

कहतें कहतें भरत उस खूबसूरत हसीना के सभी अधोवस्त्रों को एक एक कर उतार कर, बेडरूम में फ़र्श पर फैंक चुका था,और इसी के साथ वह पुनः उस पर सवार होकर अपनें कार्य को अंजाम देने लगा।

कमरें में क्षणोपरांत उस महिला की आनन्दातिरेक में डूबी हुईं सिसकियों के साथ साथ, भरत के जोशखरोश में भरी श्वांशों की आवाज लगातार गूँजती रही थी, ।

पता नहीं उस रूम में बादल कितनीं बार गरजकर बरसे, और कितनीं बार बिजली कड़कड़ाती हुई चमकी ।

उस वासनामय आँधी में, आख़िरकार जब वासना का खेल खत्म हुआ तो भरत सिथिल होकर उस खूवसुरत हसीना की बग़ल में थककर गहरी नींद सो चुका था, और अगलें क्षण वह खूवसुरत हसीना, उठनें का प्रयास करती हुई अपनें होंठों ही होंठों में मुश्कराती हुई बुदबुदाई।

मिस्टर भरत तुम्हें तो अभी तक किसी साधारण महिला को भी पूरी तरह से संतुष्ट करना नहीं आता ?खैर फ़िर भी मैं तुम से वहुत प्यार करती हूँ।

और फिर वह उद्दाम वासना की पुतली, भरत के निकट से उसी प्राकृतिक अवस्था में उठी और अपनें प्राइवेट पार्ट्स में अपनीं दो उंगलियों से किल्टोरस (जी-स्पॉट ) से खेलने लगी, और फिर वह पूर्ण सन्तुष्ट होनें पर वह जल्दी जल्दी अपनें फ़र्श पर पड़े बस्त्रों को उठाकर और पहनकर वहाँ से जा चुकी थी।......... ....शेषांक आगें पढ़ें।



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