Turn the Page, Turn the Life | A Writer’s Battle for Survival | Help Her Win
Turn the Page, Turn the Life | A Writer’s Battle for Survival | Help Her Win

Reetu Singh Rawat

Abstract

2  

Reetu Singh Rawat

Abstract

रक्षा बंधन की मीठी सी याद

रक्षा बंधन की मीठी सी याद

2 mins
21


रक्षा बन्धन के खूबसूरत त्योहार की और बचपन से जुड़ी उसकी याद आज भी दिल को गुदगुदती है जब बचपन में अपने बड़े भाई से लड़ती झगड़ती रहती थीं और रक्षा बंधन पर उसके लिए सबसे सुंदर राखी ढूंढ़ ढूंढ़ कर लाती उसकी पसंद की मिठाई भी पापा से बोल कर मंगवाती सुबह जल्दी जल्दी उठकर नए कपड़े पहनती और सुंदर थाली सजा कर भाई को तिलक लगाकर राखी पहनती और मिठाई खिलाती और खुद भी खाती क्योंकि साल में त्योहार पर ही मिठाईया अधिक आती थी।

वैसे पापा 30 तारीख को तनख्वाह मिलने पर जलेबी जरूर लाते थे उस जलेबी का इंतजार पूरे महीने होता था और उस दिन तो सुबह से ही मुँह में जलेबी के नाम पर पानी आता था।

आज जलेबी हो या मिठाईया वो स्वाद नही है आज जलेबी की याद में फसी और भाई राखी पर दो रुपये का नोट भी बड़े तंग कर के देता था पापा से शिकायत भी करती तब भी मुझे रुलाता और फिर जाकर वो दो रुपये देता उस दो रुपये का इंतजार भी अधिक होता था उस दो रुपये के नोट में दुनिया के कई हसीन सपने थे आज भाई कई हजार रुपए देता है पर वो दो रुपये का मूल्य मेरे जीवन में अधिक था।रक्षा बन्धन भाई बहन के प्यार का प्रतीक है रूठी बहन को मनाने भाई घर आ जाता है और रूठा भाई भी रक्षा बन्धन पर चुपचाप रखी बन्धकर खुशी से बहन को गले लगा लेता।

यही प्यार माँ-बाप के जाने के बाद भी मायके की यादों को तरोताजा रखता है।


Rate this content
Log in

More hindi story from Reetu Singh Rawat

Similar hindi story from Abstract