Reetu Singh Rawat

Abstract Others

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Reetu Singh Rawat

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रक्षा बंधन की मीठी सी याद

रक्षा बंधन की मीठी सी याद

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रक्षा बन्धन के खूबसूरत त्योहार की और बचपन से जुड़ी उसकी याद आज भी दिल को गुदगुदाती है जब बचपन में अपने बड़े भाई से लड़ती झगड़ती रहती थीं और रक्षा बंधन पर उसके लिए सबसे सुंदर राखी ढूंढ़ ढूंढ़ कर लाती उसकी पसंद की मिठाई भी पापा से बोल कर मंगवाती सुबह जल्दी जल्दी उठकर नए कपड़े पहनती और सुंदर थाली सजा कर भाई को तिलक लगाकर राखी पहनती और मिठाई खिलाती और खुद भी खाती क्योंकि साल में त्योहार पर ही मिठाइयाँ अधिक आती थी। वैसे पापा 30 तारीख को तनख्वाह मिलने पर जलेबी जरूर लाते थे। उस जलेबी का इंतजार पूरे महीने होता था और उस दिन तो सुबह से ही मुँह में जलेबी के नाम पर पानी आता था, आज जलेबी हो या मिठाइयाँ वो स्वाद नहीं है। आज जलेबी की याद में फँसी और भाई राखी पर दो रुपये का नोट भी बड़े तंग कर के देता था पापा से शिकायत भी करती तब भी मुझे रुलाता और फिर जाकर वो दो रुपये देता उस दो रुपये का इंतजार भी अधिक होता था उस दो रुपये के नोट में दुनिया के कई हसीन सपने थे आज भाई कई हजार रुपए देता है पर वो दो रुपये का मूल्य मेरे जीवन में अधिक था। रक्षा बन्धन भाई बहन के प्यार का प्रतीक है रूठी बहन को मनाने भाई घर आ जाता है और रूठा भाई भी रक्षा बन्धन पर चुपचाप राखी बांधकर खुशी से बहन को गले लगा लेता यही प्यार माँ-बाप के जाने के बाद भी मायके की यादों को तरोताजा रखता है।

रक्षा बन्धन पर सभी भाइयों को बहनों की तरफ से ढेर सारी शुभकामनाएं Happy rakshabndhan.......  


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