डॉ भीमराव आंबेडकर जी के चरणों
डॉ भीमराव आंबेडकर जी के चरणों


आदरणीय डॉ भीमराव आंबेडकर जी को श्रद्धा के पुष्प अर्पित
भारत के इतिहास में गूंजता वो नाम जो भारत के इतिहास के पहले पन्नों में हमेशा चर्चित रहेगा जिसने राजनीति ही नहीं सामाजिक कार्यों को भी स्थान दिया जिसने सबसे पहले अंत्योदय के बारे में सोचा और भारत की महिलाओं को सही मान्य में जीवन की दिशा दी संविधान में कानून बनाकर नारी को शक्ति प्रदान की। आज भारत ही नहीं विश्व भी इस महान महापुरुष आदरणीय डॉ भीमराव आम्बेडकर जी की पूजा करते हैं और भारत की नारी शक्ति को भी ऐसे महापुरुष की ऋणी होना चाहिए जिन्होंने नारी शक्ति के अधिकार और सम्मान के लिए अपने कानून मंत्री पद तक छोड़ दिया था भारत के सबसे अधिक शोषितों ,वंचितों और महिलाओं के लिए अपना जीवन दिया पर आज शोषित, वंचित और महिलाएं ही बाबा साहब को भूलती जा रही है डॉ भीमराव आंबेडकर जी जीवनदाता ही नहीं जीवन को नई दिशा देने वाले हैं तभी आज हम उस जगह खड़े हैं जो जगह संविधान के द्वारा हमें दिलाई गई है नहीं तो कहावत सही होती ढोल-गंवार, शुद्र-पशु-नारी, ये सब ताड़न के अधिकारी आज भी भारत के इतिहास में ज्यादा कुछ अधिक नहीं बदला बदलाव जरूर है पर उतना नहीं। आज राजनीति क्षेत्र सबसे बड़ा विशाल क्षेत्र है जो बदलाव कर सकता है उसने भी बदलाव तो किया बस उतना जितना संविधान के डर से और आज अगर महिलाओं के लिए राजनीति की ही बात करूँ तो 15% 20% से अधिक जगह पर महिला ही होगी जहां 100 पद पर पुरुष विराजमान है वही महिलाएं 10 ही होगी चाहे गिनकर देख लेना। वो भी सिर्फ राजनीति की मजबूरी है राजनीति में महिला मोर्चा को छोड़ कर किसी भी मोर्चे पर महिला का अधिकार नहीं है हर बड़े पदों पर पुरुषों ने अपना कब्जा जमा रखा है बड़ी नजदीकी से राजनीति को देख रही हूँ और सोच रही हूँ यही नारी शक्ति करण है नारी शक्ति करण तब होगा जब पुरुषों से अधिक नारी संसद में होगी इस देश के बहुत से राज्यों की चीफ मिनिस्टर महिला होगी और भारत की प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति महिला शक्ति करण होगी क्या राजनीति के पुरुषों और सरकार में दम है ऐसा सोचे। शायद नामुमकिन सा है ख्वाब सा प्रतीत हुआ। इस लिए सशक्तिकरण की बात करना छोटी बात कहूंगी पहले राजनीति दिल बड़ा करें फिर महिलाओं की शक्ति करण की बात करें महिला न कमजोर थीं न होगी बस पुरुषों की बलि इसलिए चढ़ जाती है कि महिलाएं ही एक जुट होकर अपनी लड़ाई नहीं लड़ती है। नहीं तो पुरुष में इतना दम नहीं है कि महिला के सम्मान से खेल जाए । (डॉ भीमराव आंबेडकर जी ने नारी को वो ताकत दी है अगर चाहे तो दिन में तारे दिखा दे।) नारी को शिक्षा का सबसे बड़ा अधिकार दिलाया नारी को अपनी रक्षा और अपना आत्मा सम्मान खुद सँजोना होगा। आदरणीय संविधान निर्माता डॉ भीमराव आंबेडकर जी को श्रद्धा के पुष्प अर्पित करती हूँ।