STORYMIRROR

savitri garg

Abstract Drama Others

4  

savitri garg

Abstract Drama Others

रीना के सपनों का शहर

रीना के सपनों का शहर

5 mins
23

रीना गांव की लड़की थी और उसका बचपन गांव में ही बीता था। वह शहर में कभी नहीं गई थी उसने कभी ट्रेन और बस तक भी नहीं देखा था । बस उसने शहर के बारे सुन रखा था कि शहर में ख़ूब सारी घूमने - फिरने की जगह होती है, एक जगह से दूसरे जगह मिनटों में पहुंच जाते हैं, तरह-तरह के खाने के पकवान मिनटों में मिल जाते हैं पढ़ने के लिए हर तरह के स्कूल – कालेज होते हैं।शहर में हर तरह के पढ़ाई -लिखाई के लिए साधन -सुविधाएं उपलब्ध होती हैं, उसके नजरों में शहर उसे जादू सा लगता था। शहरों में सबसे ज्यादा उसने मुंबई के बारे में सुन रखा था इसलिए उसे मुंबई पसंद था। मुंबई घूमना उसका सपना भी था वह हमेशा कहती कि - चाहे जो हो जाए मैं एक बार मुंबई जरूर जाऊंगी, अब मुंबई जाना ही उसका सपना था ।उसकी स्कूल की पढ़ाई खत्म हो गई और कॉलेज की पढ़ाई शुरू होने वाली थी, तभी उसको कॉलेज की पढ़ाई के लिए मुंबई के किसी कालेज में दाखिला मिल गया, अब उसे मुंबई जाने का मौका मिल गया था ।
अब तो रीना के भाग्य ही खुल गए थे, खुशी का ठिकाना ना रहा। मानो! उसके किसी ने पंख लगा दिए हो बस उसे उड़ने की देर थी, अब तो पढ़ाई छोड़ो! सिर्फ उसे मुंबई ही मुम्बई दिखने लगी । सब को बड़ी खुशी- खुशी बताती कि मेरा मुंबई जाने का सपना पूरा होने वाला है पढ़ाई के साथ-साथ मेरा मुंबई घूमने का सपना भी पूरा हो जाएगा। उसने मुंबई शहर के बारे में जितना सुन रखा था उतना हर किसी को मुंबई शहर के बारे में बताते रहती थी। कहती कि – मुंबई शहर को ख्वाबों का शहर कहते हैं ,मुंबई में हर किसी के सपने साकार होते हैं, इसलिए मुंबई को सपनों का शहर भी कहते हैं , मुंबई लोगों को 24 घंटे जगाती है , मुंबई को माया नगरी भी कहते हैं ,वहां पर देश-विदेश की कम्पनियां हैं, हर तरह की कम्पनियों की बड़ी-बड़ी ऑफिसे हैं , ऊंची-ऊंची इमारतें हैं, बड़ी-बड़ी होटलें हैं , वहां लोकल ट्रेनें है, वहां समंदर के किनारे का नजारा देखते ही बनता है वहां जाकर ऐसा लगता है कि बस समुद्र की लहरों से खेलते रहें, वहां से निकलने का मन ही नहीं करता है जहां देखो वहीं पानी सिर्फ पानी ही पानी, वहां की जूहू बीच और मरीन ड्राइव ये दोनों बहुत प्रसिद्ध बीच है। वहां पर समुद्र के किनारे दोनों बीचों में जाकर, ऐसा नजारा लगता है कि चांद की चांदनी समुद्र की लहरों के साथ खेल रही हो ।वहां पर कई मंदिरें भी हैं । गणेश जी का प्रसिद्ध सिद्धीविनायक मंदिर, मुम्बादेवी का मंदिर, माता लक्ष्मी का मंदिर। हाजी अली दरगाह भी है। होटल ताज, गेटवे आफ इंडिया है। मुंबई में फिल्म सिटी ,बॉलीवुड भी है। जहां पर हर तरह की फिल्में और धारावाहिकें बनाई जाती हैं।मुंबई में कई रेलवे स्टेशन भी हैं । जो देश के हर कोने को जोड़ते हैं। मुंबई में कई हवाई- अड्डे भी हैं जहां से लोग देश-विदेश के लिए आते जाते रहते हैं। मुंबई सब लोगों को अपने यहां स्थान देती है ऐसा रीना ने जो सुन रखा था, ये सब बातें अपनी सहेलियों को बताती रहती और अपने ख्वाबों में हमेशा खोई रहती थी ।अब उसका मुंबई जाने का समय आया तो उसकी खुशी का ठिकाना ना रहा , वह अब मुम्बई जाने की तैयारी में जुट गई और अपने पिताजी के साथ ट्रेन में सवार होकर मुंबई जाने के लिए निकल पड़ी, वह इतनी खुश थी उसे सब सपना ही लग रहा था, क्योंकि रीना गांव की लड़की थी गांव से पहली बार निकली थी तो उसे यकीन ही नहीं हो रहा था कि दुनिया ऐसी भी होती है उसे सब सपना ही लग रहा था। उसके लिए तो ट्रेन भी जादू सी लग रही थी बार- बार ट्रेन को निहारती थी उसे आश्चर्य से देखती रहती थी । उससे अब इंतजार नहीं किया जा रहा था उसे लगता था कि कब मेरी ट्रेन मुझे मुंबई पहुंचा दे। बार-बार अपने पिताजी से यही पूछती रहती कि पहुंच गए क्या? कब तक पहुंचेंगे ? ये ट्रेन मुंबई कब पहुंचाएगी ? उसको मुम्बई पहुंचने की बहुत जल्दी थी ।अब उससे इंतजार नहीं किया जा रहा था। वह समय नहीं काट पा रही थी । उसके मन में तो सिर्फ मुंबई ही मुंबई दिख रही थी उसे लगता था कि काश! मैं उड़ के चली जाती और मैं मुंबई घूम कर आती ।पढ़ना तो सिर्फ मौका था उसे मुंबई घूमना था। बार-बार वह सोचती मुंबई जाकर ये करूंगी, वो करूंगी ,मुंबई जाकर यहां जाऊंगी, वहां जाऊंगी, बस मजे ही मजे करूंगी, उसको ट्रेन में रात भर नींद नहीं आई उसे लगता था कब मेरी ट्रेन पहुंचेगी और मैं अपनी मुंबई जाऊंगी और मैं घूमूंगी ।अब उसकी ट्रेन पहुंचने ही वाली थी मुंबई स्टेशन आने ही वाला था जैसे ही उसे पता चला उसके सपने पूरे होने का समय आ गया। उसके मन में हलचल मच गई थी उसे लग रहा था क्या मैंने जो पढ़ा है, सुना है वो सच होगा क्या? मैं जो देखूंगी वैसे ही होगा क्या? जैसा मैंने सुना है वैसा रहेगा क्या? अब ट्रेन मुंबई स्टेशन पर आ चुकी थी जैसे ही ट्रेन स्टेशन में आई तो रीना की खुशी का ठिकाना ना रहा । हर तरफ वह इधर-उधर देखती और देखकर खुश होती। अब वह अपने कालेज की ओर चल पड़ी ,वहां पर जाकर उसने कालेज में दाखिला लिया और वहीं पर कालेज के पास में ही उसके पिता जी ने रहने का भी इंतजाम कर दिया था जिससे उसको आने जाने और पढ़ाई में समस्या न हो । रीना गांव से थी तो उसके पिता जी ने एक बार उसे मुंबई शहर भी घुमा दिया था जिससे उसको नई जगह में उसे कोई परेशानी न हो और उसके पिता जी उसे मुंबई में छोडकर अपने गांव चले गए ।अब वह वहां अकेली रहने लगी लेकिन मन तो मन है। उसका मन अभी भी बेचैन था की अभी मुझे मुंबई घूमने जाना है। अब अगले भाग जानेंगे कि रीना को मुंबई कैसी लगी।


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Abstract