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savitri garg

Abstract Children Stories Drama

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savitri garg

Abstract Children Stories Drama

एक खत पापा के नाम

एक खत पापा के नाम

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आज बरसों बाद रिया अपने मां के घर गई थी और अपनी मां के घर के स्टोर रूम में रखी अलमारी की सफाई कर ही रही थी। तभी उसे अलमारी में सफाई करते हुए एक फटी हुई सी किताब मिली जिसमें एक पुराना खत डाला हुआ था। वह खत इतना फटा था कि उसके अक्षर भी समझ में नहीं आ रहे थे और उसकी स्याही भी तितर- बितर हो गई थी । उसे बड़ा आश्चर्य हो रहा था- कि यह पत्र किसका होगा? वह उसे देखने के लिए परेशान थी वह बड़े मुश्किल से किताब को बाहर लेकर आई और खत को किताब से बड़े आराम से निकाल कर देखा तो पता चला कि वह खत उसी का ही था जो उसने अपने पापा को लिखा था। वह भी बचपन में को लिखा था। वह उस खत को देखकर पढ़ रही थी और हंस भी रही थी क्योंकि उसने जब वह पत्र लिखा था तो वह बहुत ही छोटी थी उसे मालूम नहीं था। खत का मतलब क्या होता है? और वह जो शब्द लिख रही थी उन शब्दों का मतलब क्या होता है? तभी उसकी मां अंदर आती है और पूछती है कि - बेटी तुम क्यों हंस रही हो? क्या तुम्हें कोई पुरानी चीजों में कुछ मिला है क्या? मैंने तो पहले ही कहा था कि- वहां कुछ भी नहीं है। वहां सब कबाड़ है, वहां जाने से कोई फायदा नहीं है। तब रिया हंसते हुए मां से कहती है- नहीं मां आज एक बहुत अच्छी सी चीज़ मुझे आपकी अलमारी में मिली है । उसने मुझे बचपन की याद दिला दी ।मुझे याद भी नहीं यह पत्र मैंने कब लिखा था? शायद मैं बहुत ही छोटी थी। हो सकता है 8 या 9 साल की !जब मैंने ये खत पापा को लिखा था, उस समय मुझे मालूम नहीं था कि खत का मतलब क्या होता है? और जो मैंने लिखा है इसका मतलब क्या होता है ?बस मैं अपने कुछ तोतली भाषा में जैसे मैं बोलती थी वैसे ही इसमें लिखा है। पहले हो सकता है इस खत को पढ़ती तो समझ में नहीं आता लेकिन अभी यह खत मुझे अपने बचपन की याद दिलाता है कि -मैं अपने पापा को कितना प्यार किया करती थी और पापा मुझे। मैंने पापा को मुझ पर प्यार के लिए धन्यवाद किया है। तब उसकी मां ने कहा कि -मुझे भी सुनाओ इस खत में क्या लिखा है तुमने ? कि तुम्हें खत पढ़कर हंसी आ रही है? तब वह मां से कहती है कि मां सुनों- मैं तुम्हें पूरा खत पढ़कर सुनाती हूं जैसे मैंने लिखा है उसकी मां बोलती है ठीक है सुनाओ-
 मेले प्याले पापा जी,
मैं आपको यह खत लिख लही हूं।क्योंकि मेले स्कूल में कहा गया है कि पापा को एक पत्र लिखना है। जिसमें आप अपने पापा को धन्यवाद करोगे। आपका ख्याल रखने के लिए इस विषय पर मुझे एक आपके नाम पत्र लिखना है ।
     मेरे प्याले पापा, आप मुझे इस दुनिया में लाए और मेरा ख्याल रखा ।अपने से पहले मेला छोचा , मुझे इस दुनिया में रहने लायक बना लहे हो, पढ़ा -लिखा के दुनिया से लड़ने के लायक छिखा लहे हो, मुझे अच्छी-अच्छी फ्रॉक, खेल -खिलौने दिलाते हो ।मुझे बहुत प्याल भी करते हो, मुझे भैया से मार खाने से बचाते हो, मम्मी से भी जादा आप मुझे प्याल करते हो । मुझे सबसे ज्यादा प्याल करने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद ।
      आपकी छोटी थी बेटी लिया।
इस खत को पढ़कर दोनों मां बेटी खूब हंस रही थी और रिया की मां रिया से कह रही थी कि- तुम जैसे बोलती थी उसी भाषा में इस खत को लिखी हो, तुम्हें यह मालूम ही नहीं था कि- तोतली बोलती हो तो, तोतला ही लिखना है। पता है! तुम्हें लोग बचपन में तोतली बोलते थे। तुम छोटी-छोटी बातें तोतला के बोलती थी, जिससे लोगों को तुम्हारी तोतली बोली सुन कर बहुत अच्छा लगता था इसलिए तुमसे बहुत सारी बातें करवाते थे और कहते थे कि - इस लड़की की तोतली बोली बहुत अच्छी लगती है।
रिया बार-बार अपनी मां से आश्चर्य! से पूंछ रही थी कि- हां मां मैं ऐसा बोलती थी, मैं ऐसा कहती थी, मैं बचपन में ऐसे बोलती थी, मुझे लोग ऐसा बोलते थे ,उसे यकीन ही नहीं हो रहा था । ऐसे ही बहुत देर तक रिया और उसकी मां रिया के बचपन की बातें करती रहीं और हंसी मज़ाक चलता रहा। फिर रिया ने गहरी सांस ली और अपनी मां से कहने लगी – देखो मां बचपन और जवानी में कितना अंतर होता है बचपन में न कोई फ़िक्र, न कोई जबावदारी ,न कोई भेदभाव नहीं होता। और फिर आप एक उम्र के बाद सबकी फ़िक्र करना , ख्याल रखना, देखभाल , और सबके प्रति जवाबदार बनना सब कुछ सीख जाते हो। काश !बचपन फिर से लौट के आता। काश! हम बचपन में लौट जाते। तब उसकी मां ने समझाया बेटा यही समय का खेल है। जो छोटा है वह बड़ा होगा, जो बड़ा है वह खत्म होगा। धीरे-धीरे समय बढ़ता जाता है और बदलता जाता है। यही तो वक्त की मांग है और समय का चलना है। समय किसी के लिए नहीं रुकता जहां हम खड़े होते हैं ।वहीं से हमें लगता है काश! हम पीछे मुड़कर देखते तो कुछ और ही होता। इस तरह मां बेटी ने उस खत को पढ़ा और पढ़कर दुनियादारी की बातें की। और समय बीत गया। क्योंकि रिया की मां बूढी हो गई थी इसलिए रिया अपनी ससुराल से मां के यहां कभी-कभी अपनी मां से मिलने आया करती थी इस तरह बातें करते- करते समय कब बीत गया दोनों को समय का पता ही नहीं चला। फिर रिया के जाने का समय हो गया और फिर रिया अपने घर वापस चली गई।


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