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savitri garg

Abstract Drama Inspirational

4  

savitri garg

Abstract Drama Inspirational

मां की ममता

मां की ममता

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 गांव में भीकू चाचा रहते थे। उनके एक गाय थी जिनका नाम रानी था ।गाय बड़ी ही प्यारी और बहुत ही सुंदर लगती थी ।एकदम सफेद जहां भी बैठ जाए लगता था सफेद चादर ओढ़ कर कोई बैठा है। इतनी सुन्दर थी कि उसके नाखून भी एकदम सफेद थे। भीकू चाचा के यहां रानी ने कुछ दिन बाद अपने बछड़े को जन्म दिया जिसका नाम डमरू रखा गया, डमरू बड़ा ही सुंदर और नटखट बछड़ा था। जब देखो इधर-उधर उछलते - कूदते रहता था। घर में ही हरी- हरी घास खाता रहता था, डमरू छोटा था तो भीकू चाचा उसको घर पर ही रखते थे। डरते थे कि डमरू कहीं भाग न जाए नहीं तो खो जाएगा । वह हमेशा अपनी मां के आसपास ही रहता था मां को छोड़कर कहीं नहीं जाता था। जहां भी रानी जाए उसके साथ ही पीछे-पीछे चला जाता था । (रानी) उसकी मां जहां भी जाए अपने डमरू को साथ लेकर जाती थी अगर डमरू दिखाई नहीं देता तो रानी उसे ढूंढने लगती थी और बड़ी दुखी होती थी, उसके आंखों से आंसू आने लगते थे। अगर डमरू को कोई छूता तो रानी उसे झपट्टा मार कर भगा देती और डमरू के पास किसी को नहीं आने देती थी। जो उसे रोटी, पानी भीकू चाचा के घर से मिलता वह अपने डमरू की ओर खिसका देती थी या तो डमरू को ही आगे कर देती थी। अगर डमरू उसके आंखों से जरा भी ओझल होता तो वह ढूंढने लगती, उसे लगता कि मेरा डमरू कहां गया ?अगर रानी इधर-उधर चली जाती तो डमरू भी अपनी मां को ढूँढने लगता था।
 एक दिन भीकू चाचा किसी काम से बाहर जा रहे थे तो जल्दी -जल्दी में घर के बाडा का दरवाजा बंद करना भूल गए और वह किसी काम से गांव से बाहर चले गए । डमरू बड़ा नटखट बछड़ा था जरा सी भी ढील पाता तो इधर-उधर कूदने लगता डमरू ने जैसे ही देखा कि दरवाजा खुला हुआ है और रानी अपने खाने में व्यस्त है वह दरवाजे से बाहर चला गया और घास खाते-खाते बहुत दूर चला गया । डमरू छोटा था, पहली बार घर से बाहर निकाला था उसे घर का रास्ता मालूम नहीं था वह खो गया। पड़ोस के गांव में किसी के घर का अनाज खा लिया तो उसे उस घर के मालिक ने परेशान हो कर बांध लिया। अब रानी बड़ी परेशान थी डमरू उसे कहीं नजर नहीं आ रहा था कई दिन बीत गए लेकिन डमरू का कोई पता नहीं चला तो रानी ने खाना- पीना छोड़ दिया। वह डमरू का रास्ता देखते रहती थी, वह बहुत कमजोर हो गई थी, एकदम हड्डियां दिखने लगी थी, सुंदर दिखने वाली गाय एकदम बिमारु गाय दिखने लगी थी और उधर डमरू भी वहां बीमार पड़ गया उसने भी कुछ खाया पिया नहीं था, मां से बिछड़ कर ( डमरू)बछड़ा कुछ खा पी नहीं रहा था।
 रानी का हाल देखकर भीकू चाचा परेशान थे। रानी ने खाना -पीना सब छोड़ दिया था और बस दिनभर अपने डमरू की राह देखते रहती थी, बस रास्ते की ओर ही उसकी नजर टिकाए रहती थी, ऐसा लगता था कि वह इंतजार कर रही हो कि जैसे मेरा डमरू आने वाला है ।रानी की हालात को देखकर भीकू चाचा को बड़ा कष्ट हो रहा था तो डमरू को ढूंढने गए तो पता चला की पड़ोस के गांव में किसी ने उसे बांध लिया है तब चाचा वहां पर जाकर डमरू को छुड़ा कर उसे घर ले आए। डमरू को देखकर रानी की खुशी का ठिकाना ना रहा और डमरू भी रानी को पाकर बड़ा खुश हुआ। दोनों घंटों तक एक दूसरे को चाटते- पोछते रहे और डमरू को देखकर रानी की आंखों से एकदम आंसू आ रहे थे। जो भी उसके पास था वह सिर्फ डमरू को दे रही थी खुद नहीं खा रही थी।
 मानो “वह कह रही हो कि मेरा डमरू कितना भूखा है तुम खा लो मैं बाद में खा लूंगी” यह दृश्य देखकर भीकू चाचा के दिल में बड़ा ही संतोष हो रहा था चाचा ने बड़े ही राहत की सांस ली।उन्हें लग रहा था यह मां बेटे मेरी वजह से अलग हो गए थे काश !मैं दरवाजा बंद करके जाता। मां बेटे एक दूसरे से बिछड़ते नहीं और इतना इन मां बेटे को विछोह का सामना नहीं करना पड़ता। फिर भीकू चाचा ने खूब सारा अनाज और भूसा लाकर डमरू और रानी के पास रख दिया और रानी और डमरू दोनों ने मिलकर खाना खाया। आज रानी डमरू को पाकर बड़ी ही खुश थी डमरू को उसने खूब खिलाया और अपने बगल में ही सुलाया उसे मानो वह कह रही थी अब मुझे छोड़कर मत जाना। डमरू भी मां के पास ही रहता ,जहां भी रानी जाती उसके आगे पीछे ही घूमते रहता। लेकिन वह कहीं नहीं जाता था। इधर-उधर अगर जाए तो वह रानी के पास तुरंत ही लौट आता था रानी और डमरू एक साथ रहते थे। जरा भी दोनों एक दूसरे से अलग रहना पसंद नहीं करते थे।
 कहते हैं कि मां तो मां होती है चाहे डमरू की मां हो, चाहे किसी इंसान की मां हो उसका दिल तो बच्चों के लिए ही धड़कता है बच्चों की एक खुशी के लिए मां कुछ भी कर सकती है। हर दर्द सहती है लेकिन अपने बच्चों को तकलीफ में रखना पसंद नहीं करती है।


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