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savitri garg

Children Stories Inspirational Others

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savitri garg

Children Stories Inspirational Others

मां तो मां है

मां तो मां है

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मां तो मां होती है ।मां का दर्जा सबसे ऊपर रखा गया है मां ही तो हर बच्चे की पहचान होती है। मां तो ही बच्चों को इस दुनिया में लाकर सामाजिक परिवेश में रहने लायक बनाती है। मां को ही तो बच्चों की पहली गुरु का दर्जा दिया गया है। कहते हैं कि बच्चा कोरा कागज होता है मां ही उसमें हर रंग भरती है और रंग भरकर बच्चे को इस दुनिया में रहने के लायक बनाती है। मां ही है जो अपने बच्चों को सपने साकार करने का हौसला और उम्मीद देती है मां तो मां होती है ।पहले की मां हो या आज की मां हो। मां का मन हमेशा अपने बच्चों के लिए धड़कता है बच्चों से ही मां का जीवन है अगर बच्चों को कोई कष्ट हो तो मां अपने बच्चों के लिए कुछ भी करने को तैयार हो जाती है और हर हाल में मां अपने बच्चों की रक्षा करती है। मां हमेशा बच्चों की साया बनकर खड़ी रहती है। पहले की मां कम पढ़ी-लिखी रहती थीं ,दुनियादारी की जानकारी कम रखती थीं, एक सामाजिक बंधन रहता था ,फिर भी मां अपने बच्चों के सपनों को साकार करने के लिए समाज परिवार से लड़कर अपने बच्चों के लिए हर संभव कोशिश करती थीं आज की मां तो पढ़ी-लिखी और सामाजिक बंधन को तोड़कर हर तरह से सक्षम है ।अपने बच्चों के सपनों को पूरा करने के लिए कुछ भी करने को तैयार रहती है अब कोई बंधन नहीं रहा।आज की मां तो दफ्तर में जाती है ,कम्प्यूटर चलाती है, डाक्टर है, इंजिनियर है, हवाई जहाज चलाती है, गाड़ी चलाती है देश चलाने में मदद करती है सरहद में भी जाकर लड़ती है। आज की मां तो अपने बच्चों के प्रति सक्षम, जागरूक , सक्रिय हैं। अपने बच्चों के सपनों को पूरा करने के लिए सारे बंधन तोड़कर खुद ही आगे बढ़कर उनका साथ देती है। अपने बच्चों के सपने को पूरा करने के लिए खुद ही लग जाती है और हर तरह से मदद करती है आज की मां अपने बच्चों में भेदभाव नहीं करती सामाजिक बंधनों में नहीं रखती हर क्षेत्र में आगे रखने के लिए तैयार रहती है। अपने बच्चों को सक्षम बनाने के लिए हर तरह के बलिदान, त्याग करने के लिए तैयार रहती है।
 ऐसी कहानी रीना की है। रीना की मां कम पढ़ी-लिखी थी और उसे दुनियादारी की समझदारी कम थी, अपने बच्चों के लिए समाज से लड़ पाने में सक्षम नहीं थी क्योंकि समाज का एक दायरा था। वह अपने बच्चों को हर तरह से मदद करना चाहती थी, हर तरह से ख्याल रखना चाहती थी । उससे जितना हुआ उतना अपने बच्चों के किया भी था, लेकिन वह तो मां थी। मां का दिल है, चाहे जितना करें अपने बच्चों के लिए मां को कम ही लगता है। उसे इस बात का बड़ा अफसोस होता था मेरे बच्चों ने वह हासिल नहीं कर पाया जो मैं चाहती थी ।
क्योंकि रीना आज की मां थी,उसकी मां उसे हमेशा प्रोत्साहित करती और कहती- तुम्हारे लिए कोई बंधन, कोई जवाबदारी नहीं है। तुम बंधन मुक्त हो, तुम अपने बच्चों के लिए कुछ भी कर सकती हो, तुम्हारे लिए कोई सामाजिक दीवार नहीं है, कोई समाज का ताना- -बाना नहीं है, इसलिए तुम अपने बच्चों की हर तरह से मदद करना, ख्याल रखना, अच्छी परवरिश देना, तुम्हारे बच्चे जो चाहे वो करने देना, उनके लिए सपनों के हर दरवाजे खोल देना, खुला आसमान देना तुम्हारे बच्चे जहां चाहे वहां उड़े जहां वह जाना चाहे वहां भेजना।जो मैं नहीं कर पाई वह तुम करना तो मुझे बहुत अच्छा लगेगा और रीना ने भी वही किया। वह जो वह नहीं कर सकी उसने अपने बच्चों को हर तरह की सुविधा दी, बच्चों ने जो चाहा । वह अपने सुविधा के अनुसार अपने बच्चों के सपनों को साकार करने का मौका दिया। रीना की सोच थी की जो मैं नहीं कर सकी वो मेरे बच्चे करें , हर मां को लगता है कि मेरा बच्चा सबसे आगे रहे ,मां का दिल तो मां का है, चाहे आज की हो या पहले की मां ।उसे अपने बच्चों के लिए कम ही लगता है। रीना को लगता था कि मेरी मां को मुझे लेकर अफसोस है कि वह मेरे लिए कुछ नहीं कर पाईं। रीना पढ़ी - लिखी और कार्यरत एक सक्षम महिला थी इसलिए वह अपने बच्चों को पढ़ने- लिखने से लेकर सपनों को साकार करने, आसमान में उड़ान भरने का मौका दिया अपने बच्चों को बिना भेदभाव के मौका दिया ।बाद में सब कहते- कि जो रीना ना कर सकी वह उनके बच्चों ने कर दिया रीना को और उसकी मां को भी यह सुनकर बड़ा अच्छा लगता था कि- मेरे बच्चों ने मेरी ख्वाहिश को पूरा किया और मैंने भी अपने बच्चों को ख्वाहिश पूरी करने में पुरी ताकत लगा दी और उन्हें उनके सपनों को पूरा करने का मौका दिया। रीना को यह देखकर दिल से सुख की प्राप्ति होती थी। कहते हैं ना- बच्चों को मां हर रूप में प्यारी होती है और मां को बच्चा हर रूप में प्यार होता है दुनिया समाज के लोग तिरस्कार कर दे लेकिन मां अपने बच्चे को कभी नहीं छोड़ सकती मां का दिल मां का ही होता है। अपने बच्चों के प्रति कभी प्रेम करना कम नहीं कर सकती चाहे कितना भी बंधन हो, मां का दिल तो बच्चों के लिए ही धड़कता है, मां के कितने भी बच्चे हों मां कभी अपने बच्चों में भेदभाव नहीं करती, मां अपने बच्चों को बराबर प्यार करती है। एक बार बच्चों को भले ही लग जाए कि मां मुझे प्यार नहीं करती, बच्चा भले तिरस्कार कर दे लेकिन मां अपने बच्चों के प्रति कभी भेदभाव नहीं कर सकती, ना अपने बच्चों को छोड़ सकती, चाहे आज की मां हो ,चाहे कभी किसी समय की मां । मां तो मां होती है एक बार बच्चा मां को छोड़ सकता है लेकिन मां अपने बच्चों को कभी नहीं छोड़ सकती ।


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