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savitri garg

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कान्हा का जन्मदिन

कान्हा का जन्मदिन

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######### कान्हा का जन्मदिन #######

कृष्णा,कान्हा ,गोपाल, माखन चोर, मुरारी,कन्हैया नंदलाल, देवकीनंदन न जाने कितने नाम है हमारे कृष्णा के । जिस नाम से पुकारो उस नाम में भगवान और भक्त में भाव के दर्शन देते हैं । उनका हर नाम पवित्र और अपना सा लगता है । लोग हर वर्ष भादों मास की अष्टमी को कृष्णा का जन्मदिन मनाते हैं।
    वेद और पुराणों में वर्णित किया गया है कि - जब कंस ने अपनी बहन देवकी और अपने बहनोई वसुदेव जी को कारागार में बंद किया था, तब वहीं मथुरा के कारागार में कृष्णा का जन्म रात के बारह बजे रोहणी नक्षत्र में हुआ था। तब से हर वर्ष भादों मास की अष्टमी के दिन रात बारह बजते ही भगवान कृष्ण के मंदिरों में, लोगों के घरों पर घंटियां बजने लगती है। लोग अपनी- अपनी तरह से पूजा करते हैं और कृष्णा जन्मदिन अद्भुत रूप से मनाते हैं । आज से लगभग 5,500 वर्ष पहले भगवान कृष्ण ने इस धरती पर अवतार लिया था ।लेकिन आज भी कृष्ण जन्माष्टमी के दिन जब कृष्णा का जन्म दिवस मनाते हैं तो हमें ऐसा महसूस होता है कि मानो! आज ही के दिन कृष्णा का जन्म हुआ है और हमारे घर एक नन्हा सा मेहमान आज आया है और हम उसका धूमधाम से जन्मदिन मनाते हैं। जन्मदिन के दिन पहले पानी से ,फिर दूध - दही , फिर शक्कर – शहद , फिर ,फूलों से नहलाते हैं यानि कि पुष्प की वर्षा करते हैं -भगवान का फिर उनका सुंदर सिंगार किया जाता है। सोहर ,बधाई गीत आदि गाए जाते हैं।भगवान कृष्ण के जितने भी मंदिर हैं, हर मंदिर में कृष्ण जन्माष्टमी के दिन विशेष आयोजन किया जाता है और जन्मोत्सव मनाया जाता है। और धीरे-धीरे भगवान बड़े होते जाते हैं तो छठवें दिन उनकी छठी मनाते हैं ,बधाई गीत गाए जाते हैं और फिर भगवान की बिदाई कर दी जाती है। भारत देश में विशेष रूप से मनाया जाता है भगवान कृष्ण की लोग जन्मदिन मनाते हैं और आरती, भजन गाए जाते हैं, नई-नई वस्तुएं बनाई और चढ़ाई जाती हैं, पकवान चढ़ाए जाते हैं कृष्णा हमारे घर आए हैं और हम उनकाहर तरह से स्वागत करते हैं और हर वर्ष भगवान का जन्मदिन को नये हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं।
 ऐसा लगता है कि जैसे आज ही की बात हो अब भगवान का जन्म होने वाला है जैसे एक छोटे बच्चे के जन्म होने पर बेसब्री से इंतजार किया जाता है उसी तरह भगवान कृष्ण के जन्म उत्सव मनाने का इंतजार करते हैं और तरह-तरह की तैयारी भी करते हैं ।समय के अनुसार अब बहुत बदलाव भी हो गया है अब तो लोग गुब्बारों से , फूलों से , दीपों से, घरों को सजाते हैं,यहां तक की भगवान से केक भी कटवाते हैं। कृष्णा को छोटा बच्चा मानकर के केक भी खिलाते हैं। नंदलाल की कहानी सब ने सुनी होगी ,पर जितना सुनों उतना ही सुननें व जानने का मन करता है । लगता है अभी कुछ बाकी है अभी और कुछ सुनना और जानना है। जितना कृष्णा के बारे में जानते हैं उतनी ही जानने की उत्सुकता बढ़ती जाती है और उनके बारे में जानने का मन करता है । मन ही नहीं भरता ,लगता है किजितना समझे उतना ही कम होगा । हम हर वर्ष भगवान कृष्ण का जन्मदिन मनाते हैं और फिर अगले वर्ष कृष्ण जन्माष्टमी आने का इंतजार करते हैं उसके बाद फिर उतना ही हर्षोल्लास के साथ हम भगवान कृष्णा का जन्मदिन मनाते हैं। एक नयापन और एक अद्भुत आनंद की प्राप्ति होती है लगता है फिर से शुरुआत हो रही है भगवान हमारे घर आए हैं और हमारे घर में आशीर्वाद देंगे और रहेंगे।


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