रहस्यमयी रात
रहस्यमयी रात
आज होस्टल में सब लडकिया जल्दी सो गई थी, लेकिन सुनिता कि नींद आने का नाम ही नहीं ले रहीं थी | रोज कि तुलना में आज वातावरण में शांति थी ,लेकिन सुनिता का मन पुरी तरह अशांत था, वो भूतों कि कहानियाँ उसने दिन में सुनीं थी वो न चाहते हुए भी उसके मन में आ रही थी इसलिए मन ही मन हनुमान चालीसा पढने लग गई और उसकि पढते पढते आख लग गई
उधर वातावरण में अलग ही उत्पात शुरू हो गया,तेज बारिश शुरू हो गईं ,बिजली कडकने लगीं अजीब अजीब आवाजो ने माहौल अशांत कर दिया|तभी अचानक सुनिता कि आख खुल गई उसे लगा जैसे कोई उसे बुला रहा है पुकार कि आवाज काफी तेज थी,लेकिन उसकी उठने की हिम्मत नहीं हुई , और वो फिर से सोने लगीं जैसे ही वह सोने लगीं पुकार कि आवाज तेज़ हो गई उसे लगा उसकी दोस्त जो आज दूसरे कमरे में सोइ थी उसकी पुकार है इसलिए वो उठीं और धीरे धीरे दरवाजे की तरफ बढने लगी लेकिन दरवाजा खोलने कि हिम्मत ही नहीं हो रही थी लेकिन जैसे ही वापस जाने लगी फिर से आवाज आने लगी तो इस बार उसने हिम्मत करके दरवाजा खोला ,तो उसने जो देखा उसे देख कर वो अचेत होकर वही गिर पडीं|सुबह वो उठी तो बिस्तर में थी बुरी तरह काप रही थी लेकिन उसने उस रात क्या देखा वो उसने आज तक किसी को नहीं बताया लेकिन जब भी उस रात के बारे में उससे कोई पूछता वो सिहर जाती थी|