एक घटना, जिसने जिदंगी बदल दी
एक घटना, जिसने जिदंगी बदल दी
आज सगींता को ऑफिस में काम करते बहुत देर हो गई थी, सब लोग घर चले गए थे, इसलिए आज उसे अकेले ही घर जाना था।
तो आसपास रिक्शा ढुढने लगीं लेकिन उसे कोई रिक्शा नहीं मिल रहा था, इसलिए वह पैदल ही चलने लगी, मौसम अच्छा था तो उसे चलने मे मजा भी आ रहा था, वो गुनगुनाते हुए चल रही थी , और तभी पीछे से दो बाइक सवार आए और उसका दुपट्टा खिचा और उसे जोर से धक्का देकर निकले, वो उठने का अभी प्रयास कर रहीं थी कि वह बाइक सवार फिर आए और उसके चारों ओर चक्कर लगाने लगे, और उस पर फद्दी टिप्पणियां करने लगे, सगींता को चोट के कारण उठने में मुश्किल हो रही थी, लेकिन वो मदद के लिए चिल्लाने लगीं, आवाज सुन कर लोग आए, लोगों को आतें देख गुन्डे भाग गए,
सगींता उधर ही अचेत अवस्था में गिर पडीं, सुबह जब आँख खुली तो वो अपने घर में थी, लेकिन वो अभी भी सदमे में थी, उस रात ने उसकी जिदंगी बदल दी, समय के साथ उसके बाहरी घाव तो भर गए लेकिन वो उस घटना को नहीं भुला पाई, उसे रह रहकर यही ख्याल आता कि अगर वो लोग न आते तो क्या होता और इस ख्याल से ही वह पूरी तरह सहम जाती, अब वह फिर से कभी पूराने रुप में नहीं आ पाई।