रहस्यमयी बक्सा।
रहस्यमयी बक्सा।
प्राचीन काल की बात है कि एक शहर में एक परिवार रहता था। परिवार में विलास और विकास दो भाई साथ-साथ रहते थे। उनके पास एक मकान था। विलास कोई काम नहीं करता था और विकास एक सेठ के पास मुंशी था। सेठ जी का नाम रामलाल था।
विकास ईमानदार और सच्चा इंसान था। विलास झूठा-लालची और बेईमान इंसान था। दोनों भाईयों में जमीन-आसमान का अंतर था। विकास और बड़े भाई विलास में राम-लक्ष्मण जैसा प्यार था।
विकास जो भी कमा कर लाता विलास उन रुपयों को भोग-विलास और जुआ खेलने और शराब पीने पर खर्च कर देता। विकास सीधा-साधा और भोलाभाला था।
एक दिन सेठ रामलाल ने विकास को पचास लाख रुपए दिए और अगले दिन सुबह ही उसे दूसरे शहर वो सारे पैसे किसी को देने जाना था। विलास ने वो पचास लाख रुपए चोरी कर लिए और शराब और जुआ खेल सब रुपए हार गया। उसने सोचा था कि जुआ खेलते हुए जीत के खूब सारे रुपए जीतेगा और विकास को सुबह उठकर देगा। विलास बहुत परेशान हो गया और उसे बहुत आत्मग्लानि हुई। उसने ख़्यालों में देखा कि पुलिस आकर विकास को पकड़ कर जेल में बंद कर दिया था।
उसने आत्महत्या करने का फैसला किया और एक पेड़ के नीचे जाकर उसने फांसी का फंदा लगाकर मरना चाहा और तभी भगवान शिव प्रकट हो गए और उसे एक रहस्यमयी बक्सा दिया और कहा कि आज तुमने सच्चे मन से अपने भाई के बारे में सोचते हुए प्रायश्चित किया है। इस लिए ये एक रहस्यमयी बक्सा तुम्हें दे रहा हूँ और तुम्हें मनचाहा मिलेगा। लेकिन हमेशा जायज़ मांगो को पूरा करना और हर दिन कम से कम सात गरीबों और असहाय लोगों की सहायता करना। ये मंत्र बोलना कि " रहस्यमयी बक्सा सहायता करना और जायज़ मांगों को पूरा करना "। ऐसा कहते ही तुम्हारी सभी इच्छाएं पूरी होगी।
विलास फिर जल्दी से घर आया और मंत्र बोलकर पचास लाख रुपए माँगे और विकास को सब बताकर क्षमा माँगी। विकास भी आज बहुत प्रसन्न था और फिर दोनों भाई सुखपूर्वक रहने लगे और रोज़ कम से कम सात दीन-दुखियों की सहायता करने लगें और धीरे-धीरे बहुत अमीर हो गए।
समाप्त।