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Sumit. Malhotra

Abstract

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Sumit. Malhotra

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जुड़वां बहनों का ख़ौफ़

जुड़वां बहनों का ख़ौफ़

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अचानक मुझे पता नहीं कैसे परंतु उसके बाद कुछ महीने से रोज़-रोज़ सिमरन या असमा के सपने आने लगे। सिमरन और असमा दोनों जोकि जुड़वां बहनें थी तो उन दोनों में से किसके सपने मुझे सही में आ रहे थे तो ये तो मैं भी बिल्कुल नहीं जानता था दोनों बहनों में कौन वो लड़की है जिसके बारे में मुझे पिछले कुछ महीने से बार-बार सपने आ रहे थे। पिछले सपनों में तो शुरू में मुझे सिर्फ़ चेहरा नही सिर्फ पीठ ही नजर आती थी या कोई नाम लेकर बुला रहा था और नाम सुनाई देता था पर ये नहीं पता चल रहा था कि वो नाम सिमरन का था या असमा का। 


पर फ़िर एक दिन यानि आज मंगलवार को आज पता नहीं कैसे लेकिन मुझे वो लड़की का चेहरा पूरी तरह से साफ़ साफ़ दिखा था और सपने में मैं अपनी पत्नी के साथ हूँ और वो सिमरन या असमा आज दोनों ही दिखाई दे रही थी और सिमरन कॉफी पीते हुए नज़र आई और असमा रिसेप्शनिस्ट की जगह पर बैठी हुई दिखाई दे रही थी। हम चारों एक रेस्टोरेंट में बैठे हुए थे और सिमरन हमारे से दूर ऊपर दूसरे फ्लोर पर बैठी हुई थी। तभी एक लड़की जिसने पीले रंग का सलवार सूट पहना हुआ था और वो बाहर से वहाँ पर आई और असमा वहाँ से उठकर चली गई और सिमरन के पास ऊपर दूसरे फ्लोर पर ही चली गई। 


और तभी मेरी नज़र ऊपर वाले दूसरे फ्लोर पर बैठी हुई लड़कियों पर पड़ी और जैसे ही मैंने एक चेहरा देखा तो वो सिमरन थी और सिमरन ने भी पीला सूट ही डाला हुआ था और मैनें उसे देखकर आवाज़ मारने की सोची। 


तभी मुझे मेरे अंकल जी की बात याद आ गई थी कि आने वाले दिनों में मुझे इन दोनों जुड़वां बहनों से बचकर रहना था तो मैं उसे बुलाना नहीं चाहता था पर दिल मासूम नादान चंचल कहा मानता है तो मैनें उसे आवाज़ दी और उसे नाम से बुलाया और सिमरन कहते ही उसने यानि कि सिमरन ने मेरी तरफ देखा और वो मुझे देखकर हैरान परेशान हो गई थी और उसने असमा को मेरी तरफ ईशारा करते हुए बता दिया और वो दोनों कुछ देर तक बातें करती रही और फ़िर सिमरन उठकर खड़ी हो गई और मुझे ईशारा करके रेस्टोरेंट से बाहर आने के लिए कहा। मैनें नीलम जी से कुछ जरूरी काम है कहकर थोड़ी देर में आया ये कहकर बाहर आ गया था। उधर सिमरन भी जब नीचे आई तो वो भी बाहर आ गई थी और नीलम जी की पीठ सिमरन की तरफ थी। 


सपने में आगे मैनें देखा कि हम दोनों एक दूसरे के पास आ गए थे और फिर मैनें कहा कि" कैसे हो तुम और असमा और घर परिवार सब ठीक ठाक है" और वो सिमरन कुछ भी नहीं बोली और अचानक मुड़कर वापिस अंदर जाने लगी। 


मैनें उसे तुरंत रोका और उसका हाथ पकड़कर कहा कि "इतनी नफ़रत करती हो कि अपना हालचाल भी नहीं बता सकती हो और आज तुमने मुझे बिल्कुल ही पराया कर दिया है और अगर तुम ऐसे ही गई तो मैं सामने वो जो मैडिकल की दुकान है ना वहां से ब्लेड लेकर अपनी हाथ की नसे काट लूँगा।" इससे पहले वो कुछ कहती तभी असमा भी बाहर आ गई थी और हम दोनों की तरफ ही आ रही थी। असमा ने भी काले रंग का सलवार कुर्ता डाला हुआ था और वो भी बहुत ही सुंदर नज़र आ रही थी।


दोनों ने मुझे कहा कि "हम वो जो यहाँ पर सामने दिख रहे फाइवस्टार होटल ताज में ठहरे हुए हैं और तुम हमारे साथ अभी चलो और तुम्हें अपना और घर परिवार का हालचाल बड़े आराम से बतायेगें और शादी तो तुमनें नीलम दीदी से कर ली थी पर प्यार तो कम से कम हम दोनों को कर सकते हो और हमारे लिए इतना ही बहुत है और हो सके तो हम दोनों बहनों को तुमसे एक बच्चा चाहिए और वो हम दोनों के लिए तुम्हारे प्यार की अनमोल निशानी होगी और हम दोनों बहनों ने कसम खाई है कि विवाह करना है तो वो भी सिर्फ़ तुमसे और दोनों एक ही लड़के से और वो आप ही तो हो जीजू" और यह कहकर सिमरन ने मेरा हाथ अपने हाथ में ले लिया और असमा ने भी अपना हाथ हम दोनों के हाथों के ऊपर रख दिया।  


मैं उन दोनों की बातें सुनकर जैसे हक्का बक्का ही रह गया और मुझे अंकल जी की बात याद आ गई और मैनें मन ही मन में तब भगवान जी से प्रार्थना की और तभी एक वेटर बाहर आ गया और मेरे पास आकर बोला कि "सर आपको आपकी पत्नी बुला रही है और मैं भी फटाफट उसी समय सिमरन और असमा को फिर मिलते हैं कहकर अंदर जाने लगा और तभी असमा ने मुझसे मेरा मोबाइल नंबर पूछकर मेरे नंबर पर साथ ही साथ मिस कॉल मारकर नंबर सेव करने के लिए कहा। "


दोनों ने सिमरन और असमा ने वेटर के सामने ही बारी बारी से मुझे गाल पर किस किया और वहाँ से फाइवस्टार होटल ताज के लिए चल पड़ी। मैं भी अब फटाफट अंदर आ गया था और नीलम जी के सामने बैठ गया और हम दोनों ने फ़िर आर्डर किया हुआ सामान खाया और बिल की पेमेंट करके अपने कमरे में वापिस आ गए और नीलम जी के साथ टीवी पर यानि होटल में लगी बड़ी एलईडी टीवी पर चैनल बदलते बदलते ही एक जगह पर पुरानी फ़िल्म आ रही थी और वो फ़िल्म हम दोनों ही देखने लगे। 


पूरे तीन घंटे हमनें फ़िल्म देखी और शाम को जब फ़िल्म ख़त्म हुई तो पाँच बज रहे थे। हम दोनों जहाँ पर ठहरे हुए थे वो एक बहुत ही अच्छा होटल था और हम दोनों ने कमरे में ही कॉफी पीने को मंगवाई और साथ में कुछ खाने के लिए स्नैक्स भी थे।


हम दोनों शाम को बाज़ार घूमने के लिए निकले और नीलम जी ने खूब सारी शॉपिंग की थी। दोनों बहनें हमारे पीछे आ रही थी और मैंने फ़िल्म देखते हुए नीलम जी को सबकुछ बता दिया था और नीलम जी ने पुलिस स्टेशन पर जाकर अपने अंकल जी को सब बता दिया और फ़िर मैं उन दोनों बहनों के बताये हुए होटल के कमरे में गया और वो दोनों बहनें मुझे परेशान करने लगी और नीलम जी को मारने की साज़िश जो रची थी, उसके बारे में बताने लगी और मेरे कमीज़ की जेब में कैमरा लगा हुआ था और पुलिस ने आकर उन दोनों बहनों को गिरफ्तार कर लिया और कैमरे में उनकी रिकॉर्डिंग से सच पता चल गया और दोनों बहनों को दस साल की सज़ा सुनाई गई। 


तभी वीना जी ने मुझे उठाया और बताया कि सिमरन और असमा दोनों जुड़वां बहनों को दस साल की सज़ा सुनाई गई है। मैं जिसे सपना समझ रहा था वो सब हक़ीक़त में हो गया था। 


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