Sumit. Malhotra

Abstract Action Classics

4  

Sumit. Malhotra

Abstract Action Classics

प्यार की जीत

प्यार की जीत

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राम और कुमार दोनों ही भाई थे और कमाल की बात कि दोनों ही जुड़वां पैदा हुए थे। राम देखने में बहुत ही आकर्षक और मृदुल व्यवहार वाला इंसान था और कुमार सुंदर तो बहुत ही था पर बुरा, लालची, घमंडी और ईर्ष्या करने वाला इंसान के भेष में जैसे शैतान ही तो था। दोनों भाईयों में जमीन आसमान का अंतर था। दोनों भाई साथ साथ स्कूल में और कॉलेज में जाते थे। 

राम बहुत ही होनहार बच्चा था और वो पढ़ाई-लिखाई में अव्वल आता था। कुमार बहुत ही ज़्यादा नालायक आलसी और कामचोर था। राम हर साल कक्षा में अव्वल आता था और कुमार बस जैसे तैसे पास हो जाता था। कभी कभी तो नकल के सहारे और कभी कभी मास्टरों की चापलूसी और खुशामद करके पास हो जाता था। 

राम और कुमार के पिता जी का नाम राहुल कोहली और मां का नाम सलोनी कोहली था। राहुल और सलोनी भी अपने दोनों बच्चों से बहुत प्यार करते थे। बचपन में एक बार कुमार ने राम को छत पर खेलते खेलते धक्का दे दिया था और राम के सिर पर गंभीर चोट आई थी। डॉक्टरों ने जवाब दे दिया था और फ़िर राहुल और सलोनी ने मंदिर जाकर दुआएँ माँगी थी और राम की जान बचा गई थी। 

राम के लिए कोई भी तोहफा या नये कपड़े या जूते-चप्पल आदि कुछ भी आते तो कुमार जिद करके ले लेता था। बचपन से आज जब दोनों ही जवान हो चुके थे तो जो चीज कुमार को पसंद आ जाती थी, वो उसे राम से ले लिया करता था। राम भी ख़ुशी ख़ुशी दे दिया करता था। 

एक दिन कॉलेज में दोनों के फाइनल पेपर चल रहे थे। राम और कुमार दोनों पेपर एक साथ दे रहे थे। कुमार नकल करते हुए पकड़ा गया और उसने राम की तरफ नकल की पर्चियाँ फ़ेंक कर राम को फंसा दिया और राम ने अपने भाई को बचाने के लिए गलती मान ली। राम को कॉलेज से निकाल दिया गया और जब वो कुमार को समझा रहा था तो कॉलेज के प्रिंसिपल सर ने उनकी बातें सुन ली थी और राम को कॉलेज से निकालने का आर्डर कैंसिल कर दिया था और कुमार को कॉलेज से निकालना चाहते थे पर राम की ज़िद के आगे घुटने टेक दिए और राम के कहने पर कुमार को क्षमा कर ापीदिया था। हिमानी राम से रोज़ मिलने आती थी और दोनों कभी फ़िल्म देखने और कभी रेस्टोरेंट साथ साथ कॉफी पीने जाते थे। एक दिन कुमार ने राम के मोबाइल से हिमानी को मैसेज किया और मिलने को कॉलेज की लाइब्रेरी में बुलाया था और जब हिमानी वहाँ पर आई तो वहाँ पर कुमार के सिवाय कोई भी नहीं था और  ने हिमानी को राम से दूर रहने को कहा पर हिमानी ने मना कर दिया था। कुमार ने हिमानी को एकदम से अपनी बाँहों में भर लिया और उसके साथ जबरदस्ती करने लगा और तभी वहाँ पर प्रिंसिपल सर आ गए और कुमार को इस नीच और गंदी हरकत के कारण कॉलेज से निकाल दिया गया था। कुमार ने माफ़ी माँगने का झूठा नाटक किया और हिमानी ने उसे क्षमा कर दिया पर प्रिंसिपल सर ने पुलिस नहीं बुलाकर सिर्फ़ कॉलेज से निकाल दिया था। 

कुमार जोकि बहुत ही धूर्त लालची और कपटी इंसान था और अब उसे कॉलेज से भी निकाल दिया गया था। हिमानी राम से प्यार करती थी और कुमार जिसकी हिमानी पर अब भी बुरी नज़र थी और वो हिमानी को किसी भी कीमत पर पाना चाहता था और अपना बनाना चाहता था। उसने अपने भाई राम को हिमानी से दूर करने के लिए राम को मारने के लिए कुछ गुंडों को सुपारी दी। गुंडों ने राम को धोखे से बातों में लगाकर और क्लोरोफॉर्म सुंघा कर बेहोश करके बुरी तरह से मार-मार कर अधमरा कर दिया था और कुछ लोगों के अचानक वहाँ पर आने के कारण उन गुंडों को भागना पड़ा था। राम को बहुत ही ज़्यादा चोट आई थी और कुछ महीनों बाद वो ठीक होकर वापिस घर आ गया था। उधर कुमार और उन गुंडों में पैसों को लेकर झगड़ा हुआ। कुमार ने कहा कि बात मारने की हुई थी और राम सिर्फ़ घायल हुआ था और जब तक वो गुंडे राम को जान से मार नहीं देते कुछ भी नहीं मिलेगा और गुंडों ने कुमार का अपहरण कर लिया था और कुमार का सौभाग्य ही तो था कि हिमानी ने यह सब देख लिया था और जाकर राम को सबकुछ बता दिया था। राम ने हिमानी को पुलिस लेकर वो जगह पर आने के लिए बोल दिया था और खुद कुछ दोस्त जोकि उसके साथ थे उनमें से एक को हिमानी के साथ पुलिस स्टेशन और बाकी दोनों दोस्तों को लेकर उन गुंडों के अड्डे पर पहुंच गया था। वहाँ पर उसने और दोनों दोस्तों ने मिलकर कुमार को छुड़ा लिया और बाहर जाते पकड़े गए। उन गुंडों के साथ दोनों भाइयों और दोनों दोस्तों यानि कि उन चारों की उन गुंडों से खूब लड़ाई हुई और गुंडों के सरदार ने मौका मिलते ही कुमार को जो पैसे नहीं दे रहा था और बदले में कुमार को मारना चाहता था तो मौका मिलते ही गोली मारी पर राम आगे आ गया और गोली राम को लग गई थी। राम धरती पर गिर गया और गोली राम को सीने पर लगी थी। कुमार ने ये देखकर गुंडों के सरदार को बुरी तरह से पीटने लगा और मार मार कर अधमरा कर दिया। 

जैसे कि होता है अंत में हमेशा पुलिस आ जाती है और यहाँ भी ऐन वक़्त पर पुलिस आ ही चुकी थी और सभी गुंडों को पकड़ कर अपने साथ लेकर गई।

राम की हालत बहुत गंभीर थी।कुमार को अपने किए पर बहुत पश्चाताप हो रहा था और उसकी आँखों से आँसू बहने लगे। उसने मंदिर में जाकर भगवान जी से दुआ माँगी और जल्दी ही राम ठीक हो गया। राम जब ठीक होकर घर आया और राम ने कुमार को कहा कि सबकुछ मैं तेरे नाम कर दूंगा। मुझे सिर्फ मेरा भाई चाहिए और यहाँ तक की अपनी मोहब्बत की कुर्बानी देकर हिमानी से तुम्हारी शादी करवाऊंगा। कुमार ने उससे रोते हुए अपनी गलतियों के लिए क्षमा मांगी और कहा भाई ये जो भी हैं ना तेरा ना मेरा बल्कि हम सबका ही तो है और हिमानी पर सिर्फ़ और सिर्फ़ तुम्हारा हक़ है। दोनों जल्दी से शादी करके मुझे नन्हे मुन्ने प्यारे प्यारे बच्चों का चाचा बना दो और हिमानी की तरफ़ देख कर कहा कि सॉरी भाभी माँ और दोनों भाई एक दूसरे के गले लग गए। 

 फिर राम और हिमानी की शादी हो गई और वो सभी हँसी-खुशी रहने लगे और एक साल बाद राम और हिमानी के भी जुड़वां बच्चे हुए और एक बेटा और एक बेटी और दोनों ही जुड़वां भी थे। 

समाप्त। 


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