Sumit. Malhotra

Inspirational

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Sumit. Malhotra

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विवाह पर अनोखा दहेज़।

विवाह पर अनोखा दहेज़।

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सोनिया जो अपने गरीब माता पिता की इकलौती संतान थी और गरीबी में ही उनका जीवन गुजरा था और आज वो खुश तो बहुत ही ज़्यादा थी पर एक दुःख उसे रह रह कर सता रहा था कि उसके जाने के बाद माता पिता अकेले रह जाएंगे। सोनिया इकलौती संतान थी। अपने माता पिता से छिप-छिपकर वो रो लेती थी ताकि उन्हें उसका दुःख न दिखाई दे। उसका करण से प्रेम विवाह हो रहा था।  


करण एक अनाथ लेकिन अमीर लड़का था और बहुत ही आलीशान मैनेजर की नौकरी कर रहा था और उसे कोई बुरी आदत भी नहीं थी। आखिर शादी का दिन आ ही गया और बारात आ गई, स्वागत आदि रस्मों के बाद लग्न की घड़ी आ गई। सोनिया पूर्ण सोलह श्रृंगार में मुस्कुराती हुई करण के सामने आई। करण ने एक भरपूर नज़र उसे देखा और उसका हाथ थामकर विवाह-वेदी पर बैठने की जगह उसके माता पिता के पास जा पहुंचा। 


 सब लोग चकित, पंडित जी हैरान और सोनिया हैरान व अवाक्। करण ने सोनिया के माता पिता को प्रणाम कर कहा- 'मुझे दहेज़ चाहिए। चूंकि इस विषय पर अपनी बात ही नहीं हुई, इसलिए लग्न से पहले ही सब कुछ तय हो जाना चाहिए।' 

 

सोनिया शर्म से जमीन में गड़ गई। इस लोभी के साथ विवाह के लिए उसने सारी मर्यादा ताक पर रखकर माता पिता से वचन लिया था और उन्होंने भी पुत्री-स्नेह के वशीभूत हो इसके विषय में कोई खोजबीन न करते हुए 'हां' कर दी थी।


करण ने सोनिया के माता पिता से कहा कि" हर शादी या विवाह में माता पिता अपनी बेटी का कन्यादान करते हैं पर मुझे दहेज़ में सोनिया के हाथों आपका मात-पिता दान करवाना है और ये ही मेरा दहेज़ होगा और जब तक नहीं मिलेगा, मैं आपकी बेटी से शादी नहीं करूँगा।" 


सोनिया के माता पिता को अपने होने वाले दामाद की बात का मान रखना पड़ा और करण और सोनिया का विवाह संपन्न हुआ और वो सब करण, सोनिया और उनके माता पिता ख़ुशी ख़ुशी रहने लगे। 


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