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MITHILESH NAG

Abstract

5.0  

MITHILESH NAG

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रेडियो

रेडियो

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“सुना है आज किसी ने बताया है कि पास

वाले मकान में कोई रोने की आवाज़ आती है”

“मैंने भी सुना है लेकिन आज तक किसी को

सही क्या है कुछ नही पता है।”


गाँव के दो बुजुर्ग एक चारपाई पर बैठ कर

गांव के बाहर एक घर की बात कर रहे थे।

वो मकान हरिया का है, वो कुछ दिन से अपने

परिवार के साथ शहर में रहता था लेकिन अब जब

अपने घर आना चाहता था तो उसको ये सब सुनाई दिया।


कुछ दिन बाद..एक हरिया अकेले ही

अपने गाँव आता है और अपने ही पड़ोस के

रहने वाले रामू से मिलता है।

“यार रामू मैंने सुना है कि मेरे घर में

किसी की रोने की आवाज़ आती है”


“हाँ ये बात सही है और इसलिए

जब तुम नहीं थे तब से ये सब हो रहा है”

समय बीतने लगा लेकिन किसी की इतनी भी

हिम्मत नही था कि उस घर में जाए।


और अगर कोई जाने के लिए कोशिश

करता तो उसको गाँव का एक चतुर

आदमी मना करता है उसका न

ाम राजेश है।

एक दिन.एक दिन उस घर के पास कुछ बच्चे

क्रिकेट खेल रहे थे, तभी गेंद उस घर मे चला गया।


और एक लड़का उस घर मे घुस गया और

अंदर देखता है कि एक रेडियो में

बच्चे की रोने की आवाज़ आती है।

और पास में राजेश भी बैठा है,

फिर वो तुरंत छिप जाता है।


और उनकी बात सुनता है

“मज़ा आ गया कुछ दिन

बाद ये घर मेंर हो जाएगा”

तभी एक आदमी और बोल रहा है

“बात सही है, ऐसे ही हम और रेडियो

लगा कर और घर कब्जा करेंगें।”


पूरी बात सुन कर उस लड़के ने

फिर जल्दी से बाहर आता है।

और पूरे गाँव वाले से ये बात बोलता है

ये देखने के लिए गाँव के कुछ लोग एक दिन चुपके से

उस घर मे घुसते है तो देखता है कि

राजेश बैठा है और पास में वो रेडियो भी।


फिर क्या सब ने उसको बहुत मारा ।

बाद में पता चला कि रामू का घर भूत का

डर दिखा कर कब्जा करना चाहता था। 


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