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MITHILESH NAG

Tragedy

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MITHILESH NAG

Tragedy

सुर्ती

सुर्ती

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“सुनो जरा बगल वाली अलमारी से सुर्ती दो बहुत मन कर रहा है”

40 साल के रोहन को ये ऐसी लत लग गयी थी कि दम पे दम बस सुर्ती ही खानी है इस के अलावा कुछ नही सोचता।

“जब देखो बस यही एक काम रह गया है और कुछ तो करना नही”

कोमल जो रोहन की पत्नी है वो हर बार उसको समझती है लेकिन कुछ फर्क नही पड़ता है।

उसको तो बस सुर्ती रगड़ कर खाने ही है।

एक दिन......

सुबह सुबह ही रोहन के गले मे कुछ खरास जैसा लग रहा था लेकिन वो उसको अन देखा कर दिया लेकिन दुपहरिया में एक दम से ज्यादा होने लगा तो उसको लगा कि मौसम की वजह से हुआ है।

“कोमल जरा गरम पानी देना और नमक डाल कर “

“गरम पानी की क्या जरूरत पड़ गयी वो भी नमक के साथ “

“अरे! कुछ नही गले मे थोड़ा सा खरास हो गया है इसलिए”

कुछ देर के बाद कोमल पानी और नमक का घोल बना कर देती है। फिर अपने काम मे लग जाती है।

एक महीने बाद.....

रोहन को अब ज्यादा दिक्कत होने लगी तो वो कोमल को बिना कुछ बोले ही डॉक्टर के पास गया।

“डॉक्टर साहब, मेरे गले मे दिक्कत हो रही है, और ऐसा लगता है जैसे कट गया हो”

डॉक्टर ने उसके मुँह में टॉर्च जला कर देखता है तो बहुत ज्यादा कटा हुआ था और लाल हो चुके थे।

“तुम को तो कैंसर हो गया” और अब घर जाओ और कुछ नही कर सकता”

घर आने के बाद....

रोहन कुछ किसी से बोला नही और वो चुपचाप रहने लगा सुर्ती तो अब जैसे बहुत दूर की बात हो गयी हो।

धीरे धीरे अब इसका शरीर भी गलने लगा। अब नो भी खाता वो बाहर निकल जाता था।

कुछ दिन बाद एक ऑपरेशन हुआ लेकिन अब उसकी दशा और खराब हो गयी।


देखते देखते उसको अपने मौत दिखाई देने लगा लेकिन वो कुछ नहीं कर सकता था।

और एक दिन अपनी पत्नी और एक 12 के बच्चे को छोड़ गया।

“कहने को तो ये एक नार्मल कहानी है लेकिन हमारे देश मे 65% लोग कैंसर से पीड़ित है, स्वास्थ्य रहे कुशल रहे।”


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