यकीन...
यकीन...
“अक्सर देखा गया है अगर अगर आप कभी किसी के अच्छे के लिए कोई अच्छा काम करो और बाद में आप की ही गलत समझा जाए तो कैसा लगता है”
कुछ ऐसा ही मीतू के साथ भी हुआ था, वो भी ऐसे आदमी की मदद जिसको सबसे ज्यादा मानता है।
कुछ दोस्त एक दुकान के पास खड़े थे और आपस मे बात कर रहे थे । तभी पंकज बोला
“देखो जो कुछ भी उस दिन हुआ था, उसको अगर कोई ठीक कर सकता है तो वो इसके चाचा ही कर सकते है”
“लेकिन यार उनकी उसमे क्या गलती वो तो हर बार बोलते थे कि तुम जैसा बोलों मैं वैसा करने के लिए तैयार हूँ”
कुछ दिन पहले......
एक दिन सोनू किसी से पैसे लिया था और वो पैसा उसने ये बोल कर लिया था कि 13 महीने बाद दे दूँगा । लेकिन वो पैसे जिसको देने थे उनको न दे कर दूसरे को दे दिया था ।
फिर रवि सोनू पर केस कर देता है । और इन सब से बचने के लिए वो सब से बोल रहा था कि चाचा चाहे तो इस मुसीबत से निकाल सकते है ।
इस समय.....
सब यही बोल रहे थे कि चाचा चाहे तो इस मुसीबत से निकाल सकते है ।
लेकिन ये सब सुन कर मीतू को गुस्सा आया और उसने बोला
“चाचा को फ़ोन कर के बुलाओ”
और कुछ देर में चाचा आते है वो भी मीतू के कहने पर और बात का यही निष्कर्ष निकाला कि चाचा की कोई गलती नही है, सारी गलती तो सोनू की है।
मीतू बस इसलिए सब को बोलता है कि ताकि फिर कभी कोई चाचा पर अंगुली न उठा सके ।
लेकिन.....
एक दिन किसी बात पर मीतू और चाचा में किसी बात पर बहस हो गयी और फिर भी मीतू उनकी हर बात पर मानता रहा ।
“अगर मेरे और सोनू में कोई बात हुई थी तो तुम को फ़ोन नही करना चाहिए था”
“मीतू भी बोला, चाचा आप पर कोई अंगुली उठाए तो अच्छा नही लगता है इसलिए आप को बोला था”
“यानी किसी दिन ऐसे ही बुलवा कर गोली भी मरवा दोगे”
इतना सुनते ही मीतू के पैर की ज़मीन निकल गयी । और उसको सबक भी मिल गया कि किसी पर इतना भी यकीन मत करो कि वो आप को ही जिम्मेदार मान बैठे।