MITHILESH NAG

Drama

5.0  

MITHILESH NAG

Drama

सवारी

सवारी

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सुबह सुबह तेज़ धूप और ऊपर से शिव को लगभग 50 km दूर किसी गाँव मे जाना था । अब वो सोच रहा था कि इतने धूप में कैसे जाऊं।

“ माँ मैं जा रहा हूँ और हो सकता है आज कुछ लेट घर आऊँ”

शिव अपनी बाइक पर बैठे बैठे ही बोल रहा था । किचन में से ही उसकी माँ भी बोल रही थी ।

“ठीक है,लेकिन रास्ते मे कुछ खा लेना “

“ठीक है”

अब शिव अपने काम से निकल जाता है रास्ते मे वो एक जगह पर बाइक रोक कर चाय पीता है । फिर निकल जाता है ।

लेकिन कुछ ही दूर अभी जाता ही है कि उसको एक औरत दिखती है वो भी इतने सुनसान सड़क पर ।

शिव कुछ देर सोचने लगा 

“इतने सुनसान रास्ते मे ये बूढ़ी औरत वो भी इतने धूप में “पता नही कहाँ जाना है ये भी नही मालूम ।

शिव अपनी बाइक एक किनारे रोक कर हेलमेट निकलता है 

“कहाँ जाना है चाची आपको, और इतने सुनसान रास्ते मे वो भी इतने तेज़ धूप में “

“ बेटा मेरा घर आगे वाले बाजार में है और पैदल ही चल दी”

“ठीक है आप मेरे बाइक पर बैठ जाओ मैं आप को छोड़ दूंगा बाजार में”

अब चाची उस बाइक पर बैठ जाती है । उनको रास्ते भर अपने बारे में बता रहा था ।

“अच्छा आपको क्या जरूरत हो जाती है कि इतने धूप में भी आप इस तरह वो भी बिना चप्पल के पैर नही जलता क्या आप का ?”

“ नही बेटा ,अब तो आदत हो गयी है “

“ हाँ ये बात तो है , ठीक है आप के घर मे कोई और नही है जो आप की मदद कर सके”

“नही” 

कुछ देर ऐसे ही चलते चलते शिव को कुछ ऐसा लगा जैसे कोई उसके बाइक पर है ही नही फिर भी वो कुछ नही बोला बस अनदेखा कर दिया ।

कुछ दूर पर एक बाजार आता है और शिव बाइक खड़ी कर के कुछ लेने लगा लेकिन तभी उसकी नज़र कुछ लोगो पर पड़ी तो चौक जाता है । क्योंकि सब के सब उसको ही देख रहे है वो भी एक टक ।

“ये सब मुझे ही देख रहे है वो भी ऐसे जैसे मैं कोई भूत हूँ”

लेकिन फिर अपनी बाइक लेकर आगे बढ़ता है और जैसे ही एक मोड़ पर अपनी बाइक मोड़ता है तो पहली बार उसकी नज़र उसके हाथ पर पड़ती है ऐसा लगता है जैसे हजारो साल से नहाई न हो और बाल भी सफेद थे । 

अब उसको पक्का यकीन हो गया था कि जो औरत मेरे साथ बैठी है वो इंसान नही बल्कि भूत है । फिर भी वो डरा नहीं।

जब बाजार में पहुँचा तो एक चप्पल की दुकान पर ले जा कर उसको चप्पल दिलाता है । और उसके पैर जब साड़ी से आगे करने को कहता है तो पैर बहुत बड़े बड़े और चमक रहे थे ।

“बेटा रहने दो मुझे इसकी क्या जरूरत “

“बस मुझे लगा कि आपके पैर जल रहे होंगे इसलिए “

शिव ने चप्पल लेकर बाइक के पास रुकने को बोलता है

“आप चलो मैं पैसे दे कर आता हूँ”

“ठीक है बेटा”

और जैसे ही वो पैसे दे कर पीछे घूमता है उसके सामने ही वो औरत दोनों हाथ उठाती है और गायब हो जाती है।

ये सब देख कर वो उसकी तरफ बढ़ता है लेकिन कोई नहीं दिखता है।


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