आँसू
आँसू
हमेशा से हम जानते हैं कि बहू भी बेटी होती है। लेकिन ऐसा क्यूँ ं होता है कि उसी बेटी को हमेशा कठपुतली समझा जाता है । खैर हम चलते हैं माया के घर जो बहुत ही सीधी और सर्वगुण सम्पन है ।
आज माया की शादी का पहला दिन है, हर बार की तरह अशोक फिर से वही पुरानी बातें लेकर सोच रहा था ।
“क्या हुआ ? क्या सोच रहे हैं “
“कुछ नहीं तुम क्या करोगी “ ?
“ ऐसा क्यूँ बोल रहे है क्या मेरा जानने हक नहीं कि आप के साथ हो रहा क्यूँ और कैसे ? “
“चुपचाप सो जाओ और ज्यादा मुँह न चलाओ समझी “
माया भी बिना कुछ बोले लेट गयी और सोचने लगी कि आज पहले दिन ही मुझे ऐसे बोल रहे है । सोचते सोचते माया की आँखों मे आँसू निकल रहे थे फिर कुछ देर बाद कब नींद आ गयी पता नहीं चला ।
सुबह सुबह......
माया 5 बजे ही उठ गई और घर मे साफसफाई में लग जाती है। लेकिन जब सफाई करते शायद कुछ गिर गया जिसकी वजह से एक आवाज़ होती इस आवाज़ को वजह से माया की सास उठ जाती है।
“तुम्हार दिमाग तो नहीं खराब है”
माया एक दम चुपचाप वहीं खड़ी रहती है फिर अपने काम मे लग जाती है ।
वापस कुछ देर बाद अपने कमरे में आ जाती है और रोने लगती है।
“पापा आपकी बहुत याद आ रही है”
इतना बोल कर रोती है बाहर से कुछ देर बाद एक आवाज आती है
“फिर से सो गई क्या “
माया की सास अपने कमरे में से ही चिल्ला रही थीं ।
“नहीं माँ कुछ नहीं वो साफ कर रही थी”
एक दिन.....
माया खाना बना रही थी और पानी गरम कर रही तभी उसी समय उसका हाथ जल गया लेकिन फिर उसकी सास और उसका पति दोनों बैठे है फिर भी एक बार भी किसी ने पूछा नहीं की क्या हुआ क्या नहीं ।
माया को भी समझ मे आ गया था कि क्या होगा इन आँसुओ का जिसका कोई मोल ही न हो ।फिर वापस से उसी आँखों के आँसू में भीग रही थी ।
