फ़ेसबुकिया चाचा
फ़ेसबुकिया चाचा
सुबह सुबह 60 साल के रोशन चाचा साइबर कैफे के बगल वाले पान की दुकान से पान खाते थे । और हर बार उनकी नज़र उस कैफ़े पर ही टिकी रहती थी ।
एक दिन जब उनसे रह नही गया तो वो कैफ़े के मालिक से 35 साल के वेद से पूछने लगे ।
“और क्या हाल है बेटा, बड़ी भीड़ जमा कर लिए हो “
“नही चाचा वो तो भला हो facebook का जो लोगो को घंटों कम्प्यूटर पर चिपका कर रखता है।”
“facebook ई क्या होता है ?”
“कुछ नही चाचा नए नए दोस्त बनाते है और बात करते है।”
अब रोशन चाचा को बड़ा उत्सुकता हो रही थी ये जानने के लिए की फ़ेसबुकिया है क्या ? और सब से बात होती है।”
“एक बात बताओ “
“क्या लड़की से भी बात कर सकते है।”
“हाँ ।“
कुछ दिन बाद....
रोशन चाचा की नीयत को वेद समझ चुका था, इसलिए इसने रोशन चाचा को facebook चलना सीखा दिया और अब रोशन चाचा भी लड़कियों को दोस्ती करने के लिए विनती करते रहते
।
“एक दिन एक लड़की का चैट आया कैसे हो और क्या करते हो ?”
अब चाचा की दिल दिमाग मे गिटार बजने लगे, वो अपनी फर्जी नवजवान फ़ोटो लगा कर उस लड़की से बात करने लगे ।
“मैं तो ठीक हूँ तुम किसी हो”?
“ तुम बहुत अच्छे लग रहे हो”
“तुम भी तो अच्छी लग रही हो”
कुछ दिन बातों का सिलसिला चलता रहा । अब दिन भर उसी कैफ़े में पड़े रहते है चाचा ऐसे ही चलता रहा ।
एक दिन....
सुबह सुबह पुलिस कैफ़े में आ जाती है, रोशन चाचा को पकड़ लेती है ।
“अरे ! दरोगा साहब मैंने तो कुछ किया भी नहीं फिर क्यो “?
“ऐसा न कुछ दिन से एक लड़की लड़कों से बात कर रही थी, और वो सेक्स रैकेट चलती है जिसमे तुम्हारे चैट भी शामिल है।”
अब तो चाचा को समझ मे नही आया कि क्या करूँ ।
“वेद बेटा कुछ तो बोलो”
“चाचा फ़ेसबुकिया भी जेल तक भेज देता है।”
“ हे भगवान, इससे अच्छा तो मेरा पान ही था।“