अब जब तक ये घर नहीं पहुंचते नींद कैसे आयेगी। चलो नोट पर ही कुछ लिखती हूं। अब जब तक ये घर नहीं पहुंचते नींद कैसे आयेगी। चलो नोट पर ही कुछ लिखती हूं।
अपने बचपन और जवानी की यादों को सभी को सहेजकर रखना चाहिए माध्यम चाहे जो हो। अपने बचपन और जवानी की यादों को सभी को सहेजकर रखना चाहिए माध्यम चाहे जो हो।
क्योंकि वह सुनता नहीं है वे उसके कानों में नहीं पड़े। क्योंकि वह सुनता नहीं है वे उसके कानों में नहीं पड़े।
ये मैं आपके चेहरे को देखकर समझ गया हूँ। अब मुझे आइना देखने की जरूरत नहीं। ये मैं आपके चेहरे को देखकर समझ गया हूँ। अब मुझे आइना देखने की जरूरत नहीं।
जैसे मैं वही नन्ही सी अंजलि माँ की गोद में झूल रही हूँ। जैसे मैं वही नन्ही सी अंजलि माँ की गोद में झूल रही हूँ।
इसलिए, उनके लिए पंजीकरण करना दुर्लभ है। इसलिए, उनके लिए पंजीकरण करना दुर्लभ है।