Bhawna Kukreti

Abstract

4.3  

Bhawna Kukreti

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कोरोना लॉकडाऊन -1(आप बीती)

कोरोना लॉकडाऊन -1(आप बीती)

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डीयर डायरी,


जिंदगी आजकल किसी फिल्म जैसी हो गयी है । जानती हो आज मेरे पापा का जन्मदिन है , आज पापा 76 साल के हो गये उनको को विश करने के लिये फोन लगाया तो पापा से ही पता चला की आज सुबह दिल्ली मे 6 बजे ही मेरे मायके मे छोटी बहू के पिताजी का स्वर्गवास हो गया है । काफी दिनो से मैक्स मे वेंटिलेटर पर थे।उसके इस दुख ने हम सबको मां की कोशिश याद दिला दी।मां भी काफी दिनो तक वेंटिलेटर मे जिंदगी के लिये जद्दोजहद करते हुए आखिरकार हार गयी थीं पर वो जीना चाहती थीं


खैर मां का दुख तो मन से जुड़ सा गया है, हर दुख सुख मे वो झांक जाता है।अच्छा, तुम्हे पता है?! कल रात पी एम मोदी जी ने रात 12 बजे से लोक डाऊन की घोषणा कर दी है।सो जिंदगी के लिये हम लोग भी आज से एक जंग मे उतरे हैं, एक भयानक बीमारी कोरोना की वजह से एक दो दिन का लॉक डाऊन नही पूरे 21 दिन का!



मैं तो डीयर अपने अलग कमरे मे कुछ दिनो से बैड रेस्ट पर ही हूं, मेरा अपना अलग ही लॉक डाउन चल रहा । डॉक्टर ने स्लिप डिस्क का अन्देशा बताया है।तो देश दुनिया की खबर जब ड्राईंग रुम मे टी वी चलता है तो सुन लेती हूं (सास जी तेज आवाज मे टी वी चलाने लगी हैं ) या फिर जब हाऊस हैल्प कमरे मे आकर साफ सफाई करती है तो उस से मोहल्ले , शहर की बातें सुनने को मिलती हैं ।बाकी लेटे लेटे मोबाइल से फेसबुक , वाट्सएप्प वगैरह से ..सोच रही हूँ पूरे लॉक डाउन के दौरान कोशिश करूं की तुमसे ही रोज मिलूं।


सुबह के 7 :30 हो गये हैं , माधुरी(हाऊस हैल्प )अभी तक नही आई हैं।मम्मी जी नाराज हो रहीं हैं। कल मम्मी जी की बात हुई थी की सुबह 7 से 10 बजे की छूट है तो सायकल से आ जाना।जिस तरह से इधर से हुई बात सुन रही थी लग रहा था कि वो बेचारी बहुत डरी हुई थी।मोदी जी ने जिस चिंता से सबसे आग्रह किया था की लौकडाऊन मतलब लौक डाऊन और कोरोना मतलब कोई रोड पर ना निकले वो सबके दिलो दीमाग पर तारी है।गरीबों पर तो वैसे भी मोदी जी की बात बेहद असर करती है तो माधुरी क्यूं आयेगी।पिछले कुछ दिन से वो खुद ही वो पूरा मुँह ढक कर, अच्छे से हाथ साबुन से धोकर घर में घुसती थी।मेरा मन किया था की कहूँ की मम्मी जी क्यूं उसे बुला कर उसकी और अपनी, सबकी जान खतरे मे डालें लेकिन चुप हो गई, खुद भी तो किसी काम की नही आजकल। मम्मी जी तो खुद बीमार हैं लेकिन मेरी सेवा मे लगीं हैं।


9 बज रहा है बेटा अभी तक सो रहा है, देर रात मूवी देखता रहा।मेरे बैड पर आ जाने से वो मनमौजी हो गया है।दादी 9 बजे ही दवा ले कर सो जाती हैं तो उनको कुछ पता नही चलता, नही तो बोल बोल कर उसकी मूवी बन्द कर देती। सास जी काफी बूढ़ी भी है दोनो घुटनो मे हमेशा दर्द रहता है, आर्थराइटिस के साथ साथ नसों की भी दिक्कत है। दिन की शुरुआत दवाओं से ही होती है और अंत भी दवाओं से।लेकिन हिम्मती बहुत है, कराहती रहेंगी पर लगी रहेंगी। माधुरी नही आई है तो गुस्सा गयी हैं, झाड़ू पोछा डस्टिंग कर चुकी हैं और अब नाश्ते की तयारी मे हैं।हल्के हल्के कराह रही हैं , मेरा मन दुख रहा है, बेटा भी सुन नहीं रहा है कितनी बार जागने को बोल चुकी हूं ।कम से कम वो दादी जी की कुछ हैल्प कर दे।


3 बज रहे हैं , स्टोरीमिरर पर आज कल एक कहानी की सीरीज लिख रही हूं ,अभी अगली किश्त भेजी है। अच्छा रेस्पोंस मिल रहा है।लिखने लगती हूं तो समय का पता ही नही चलता।आज मम्मी जी से डांट भी खाई, वे दवा रख गईं थीं और मैं लेना भूल गयी।

मम्मी जी दूध ले कर आई थीं कह रही थीं की कॉलोनी मे मुर्दनी छायी हुई हैं। रोज 4 बजे से बच्चों की धमा चौकडी

से हल्ला हुआ रहता था। औरतें मर्द सब घरों मे बन्द हैं। मोदी जी रोज 5 बजे घन्टा घड़ियाल बजाने को बोल दिये रहते तो अच्छा रहता।लोग छत पर आते तो थोड़ा बतिया ही लेते। टी वी भी मे भी सिर्फ यहाँ मरीज इतने हो गये इतने मर गये बस यही सब है। फिर खुद ही बोली हमारा भी दीमाग खराब हो गया है क्या क्या बोल रहे हैं। नाश हो इस कोरोना फोरोना का।



9 बज रहा है बेटा खुश है की पापा आ रहे हैं! पर कैसे ? आने तो दिया नहीं जा रहा। मम्मी जी बहुत नाराज हो रहीं हैं की MRI की सुनकर भागा आ रहा है, जान है तो जहान है । मुझे बोली की फोन कर कह दो वहीँ रुक जाये। उसके शहर मे कोरोना के मरीज मिले हैं, सब तरफ कोरोना होगा। मैने फोन कर कहा तो उनसे भी डांट खा गयी। " मैडम जी कम तोता बनिये आप " स्पीकर ओन था तो मम्मी जी फिर बोली जिसकी जो मर्जी हो करो। बूढ़ों की कौन सुनता है आज कल। बेटा मुझे देख कर भंवे नचा रहा है , पूरा पापा पर गया है , शरारती।

यार ! 1:15 हो गया है ! ये अभी तक घर नहीं आये।मम्मी जी बेटे को ले कर सो रहीं हैं।उनका फोन भी बार-बार " आइदर स्विच ऑफ़ ओर आऊट ऑफ़ कवरेज" कह रहा है । आखिरी बार 12:30 पर बात हुई थी कह रहे थे की ब्यूरो से निकलने मे देर हो गयी, लास्ट खबर 11 बजे भेजी है। अभी फिलहाल SSP के साथ भगवान पुर में हूं। तुम सो जाओ, मेरे पास की है मैं खुद दरवाजा खोल लूंगा।पर फिर भी अब जब तक ये घर नहीं पहुंचते नींद कैसे आयेगी। चलो मोबाइल पर नोट पर ही कुछ लिखती हूं।


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