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Vinay Panda

Abstract

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Vinay Panda

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मेरी पेनड्राइव

मेरी पेनड्राइव

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पहले के समय में एलबम होता था जब लोग अपने गुजरे पल की तस्वीर उसमे रखते थे । आज के समय में तो नई-नई टेक्नोलॉजी आ गयी है ।

बचपन की कोई याद नहीं है मेरे पास जिसे मैं देख सकूँ मेरी शादी सन् 2001 में हुयी थी जब वीडियो रिगार्डिंग होता था लोग कैसेट बनवाकर वीसीआर में लगाकर देखते थे ।

हमनें कुछ समय पहले अपनी शादी की याद को एक पेनड्राइव में सहेज कर लिया हूँ जब भी मन उस समय को देखना चाहता है देख लेता हूँ ।

उस समय की अपनी तस्वीर जब देखता हूँ या लोग देखते हैं आज के परिवर्तन को देखकर सभी हँसते हैं । खासकर मेरे दो बच्चे जो हमेशा देखकर मुझे चिढ़ाते हैं ।

उस समय के लोग आज बहुत बड़े-बड़े हो गये हैं जिनको देखकर बड़ी हँसी आती है ।

जवानी की तस्वीर जब लोग बुढ़ापे में देखते हैं तो मन में एक अजीब सा माहौल बन जाता है जिस पर बड़ी हँसी आती है ।

मेरे सामनें जो ठीक से अपनी नाक नहीं पोछ पाते थे आज वही कभी -कभी हमें शिक्षा देते हैं ।

समय बदलता रहता है । वक़्त के साथ इंशान की उम्र भी ढल जाता है । सिर्फ उसे देखकर उन पल को सोचनें के सिवा कुछ बचता नहीं है ।

लेकिन यह जरुर महसूस किया जा सकता है कि उस समय और आज के समय में बहुत बड़ा अंतर और परिवर्तन हो गया है ।

समय के साथ जीवन भी परिवर्तन शील होता है ।

अपने बचपन और जवानी की यादों को सभी को सहेजकर रखना चाहिए माध्यम चाहे जो हो।


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