मेरा प्रिय दोहरा
मेरा प्रिय दोहरा
वैसे तो धूम्रपान निषेध होता है, स्वास्थ की दृष्टिकोण के हिसाब से मगर समाज में इस समय यही सबसे ज़्यादा व्यवहरित भी हो रहा है ।उत्तरप्रदेश के जौनपुर जिला दोहरा के लिए मशहूर है।जिसमें सुपारी कत्था - चूना आदि सब मिला होता है , जिसे बिना पान के साथ खाते हैं लोग ।
अपनी बतायें, हम बचपन से ही देखादेखी में दोहरा खाना सीख गये थे । कुल मिलाकर पंद्रह से बीस साल तक हमने दोहरा का सेवन खूब किया..!
धीरे-धीरे मेरा गला खराब होने लगा और इसी बीच दोहरा बनाने वालों की धर पकड़ भी होने लगी । यहाँ तक कि मुम्बई का टाटा कैंसर अस्पताल का सर्वे भी समाचार पत्रो में आने लगा । मुँह के कैंसर में जौनपुर का दोहरा का काफी योगदान है ।
हमने देखा कई लोग हमारे ही क्षेत्र के मुँह के कैंसर से ग्रसित होकर कुछ ही दिन में संसार छोड़ गए ।हम भी मन और दिमाग़ से काफी डर गये और जब अपने को दिखाने लखनऊ के एक डॉक्टर के यहाँ गये तो उसने साफ़-साफ़ शब्दों में बोला कि लक्षण बन रहा है कैंसर का यदि जीना हो तुम्हें तो सब छोड़ दो ।
हमने भी उसी दिन यह निश्चय किया कि आज के बाद दोहरा नहीं खायेंगे ।कोई भी नशे की आदत पड़ी हो उसे छोड़ने में काफी परेशानी होती है,जिसे कोई नशेड़ी ही बयाँ कर सकता है । इलाज और जाँच के बाद जब यह निश्चित हुआ कि मुझे अभी कैंसर नहीं बल्कि एक मजबूत इन्फेक्शन था ।
कुछ दिन इलाज के बाद हम बिलकुल नार्मल हो गये और तभी से दोहरा खाना बन्द कर दिए कभी
कभार पान खा लेता हूँ मन की प्यास बुझ जाती है उससे ।बुरी आदत जो भी हो जिसे लत लग जाए एकबार, वह जल्दी छुटकारा उससे नहीं पा सकता है । मगर इंसान से बड़ा कौन है इस दुनिया में जो असम्भव को भी सम्भव में बदल देता है । बस इच्छाशक्ति उसकी दृढ़ होनी चाहिए।
स्वास्थ्य से बढ़कर मानव जीवन में और कुछ नहीं है ।अतः सबको बुरी आदतों से हमेशा बचना चाहिए ।
जीवन का आनन्द धूम्रपान निषेध में ही है । जिसके कारण सरकार भी नजर रखती है इसपर ।और
हर नुकसान दायक वस्तुओं पर कम्पनी द्वारा साफ़-साफ़ लिखा होता है कि "धूम्रपान निषेध है" स्वास्थ्य के लिए यह अत्यन्त हानिकारक होता है ।
मगर इंसान अपनी गलत धारणा के चलते इन सब चीजों में ही फंसकर पैसा और जीवन दोनों गंवा देता है।