करो..ना
करो..ना
अचानक चीन से निकलकर कोरोना का वायरस आज पूरी दुनिया में एक महामारी का रूप धारण करता जा रहा है।
सारी दुनिया आज परेशान है इससे जिसका अभी कोई ठोस इलाज भी नहीं मिल पाया है।
इस वैश्विक महामारी के रोकथाम के लिए सिर्फ सोशल डिस्टेंस यानी एक दूसरे से दूरी बनाकर इसकी थोड़ा रोकथाम किया जा सकता है । दुनिया प्रयास कर रही है।
दिन रात खोज में जुटी है कि कैसे इस रोग से छुटकारा मिल सकता है। मगर ये बात भी सच है दूरी बनाकर कितने देश इस पर काबू पा लिये हैं।
भारत शुरू से ही धर्म प्रधान देश था भाईचारा यहाँ की आज भी मशहूर है दुनिया में। भारत सरकार के द्वारा जनता कर्फ़्यू का सन्देश मिलते ही लोग अब अपनी सुरक्षा स्वयं करने लगे हैं । देश जो भी मेडिकल एडवाइजरी जारी करता है जनता उसका पालन कर रही है। ख़ुद से की गयी सुरक्षा ही स्वयं का बचाव साबित होगा जिसे सारी दुनिया स्वीकार कर रही है । जीवन मिला है जीने के लिए हम आफ़त में जान डालकर अपनी जान क्यूँ दें..
घर परिवार में 15- 20 दिन रहने से चेन टूट सकती है इस वायरस का ऐसा विश्व भर के वैज्ञानिको का मानना है। प्रकृति भी चाहती है दुनिया कुछ दिन आराम करे और वह भी अपने पहले के रूप में आ जायेगी। भीड़ से बचना मात्र ही इस रोग से बचने का एकमात्र तरीका है।
भारत देश की भौगोलिक परिस्थिति यहाँ पर नित् रोज होने वाले धार्मिक अनुष्ठान किसी भी समस्या से लड़ने में सक्षम है। सिर्फ जनमानस को जागरूक करने की जरूरत है।
हमारे देश के शास्त्रों में एकान्तवास का विधान और उसका महत्व लिखित है ऋषिमुनियों ने पहले से अपनाकर हजार साल जीवित रह चुके हैं यहाँ..
डर-भय त्याग कर देश और दुनिया एकान्तवास का सहारा लेकर लोग इस महामारी को और बढ़ने से रोक सकते हैं। दुनिया हमसे है और हम इसे बचाएंगे इस महा संकल्प से दुनिया को दिल से भय त्याग कर आगे बढ़ने की आवश्यकता है।
"भक्त और भगवान में ये दूरी..
कुछ चमत्कार होगा ज़रुर !
दुनिया में नर-संहार रुकेगा..
मानव का उद्धार होगा..! "
नर हो ना निराश करो मन को सुरक्षित रहकर आगे बढ़ो..
कोई भी आफ़त ज़्यादे दिन की नहीं होती प्रकृति सिर्फ
मानव जाति की संयम का परीक्षा लेती है।