रेड लाइट ( धारावाहिक )
रेड लाइट ( धारावाहिक )
रेड लाइट ….. वाहन चलाते समय सड़क पर रुकने का संकेत ….. वाहन पर लगा हो तो अति विशिष्ट व्यक्ति का प्रबोधन ….. अस्पताल के ऑपरेशन थियेटर में हो तो ऑपरेशन जारी रहने की सूचना पर इन सबके अतिरिक्त एक रेड लाइट एरिया भी होता है , जिसे समाज अच्छी नज़रों से नही देखता। एक ज़माने में इस एरिया को तवायफों के घूँघरू गुलजार रखते थे …. जहाँ शहर के जाने - माने रईस रात की कालिमा को अपनी गरिमामयी उपस्थिति से रंगीन बना दिया करते थे। रईसों के बीच शहर की नामचीन तवायफों की अच्छी खासी चर्चा रहा करती थी … जिस कोठे पर जितने बड़े बड़े रईसों का आना - जाना रहता था … उस कोठे का उतनी ही बड़ी इज़्ज़त कोठी वालों के बीच होती थी … शादी - ब्याह हो या छठी छिल्ला … इन्हें बुलाना लोग शान की बात समझते थे … समय एक सा कब रहा है … ठहरना तो इसकी फितरत में है ही नहीं।
समय बदला …. ज़माना बदल गया, न रईस रहे न नवाब और न रही उमराव जान … समय ने इन कोठों को रेड लाइट एरिया का नाम दे दिया। यह कहानी इसी रेड लाइट एरिया की पैदाइश है। जमुना बाई खानदानी तवायफ थीं, कहा जाता है कि इनकी नानी गुलाब जान का हुक्का लखनऊ के हर बड़े नवाब के लबों को चूम चुका था। निशा जमुना बाई की इकलौती सन्तान थी …. विशेष अवसर पर या पंच सितारा होटल में उसके डांस के प्रोग्राम आयोजित होते थे … जिसमें बड़ी बड़ी हस्तियाँ शिरकत किया करतीं थीं। इसके बावजूद वह शहर के उस डिग्री कॉलेज से स्नातक कर रही थी, जिसमें बड़े बड़े पदाधिकारी, मंत्री और बिजनेसमैन के बच्चे पढ़ते थे। बदले वक़्त और हालात में भी जमुना बाई की पहचान समाज के ऊँचे लोगों से थी।
निशा बला की खूबसूरत तो थी ही, स्वाभिमानी और गम्भीर भी थी।
जमुना बाई की बेटी होने के कारण कभी वह हीन भावना से ग्रसित नहीं हुई।
कई बड़े ऑफिसर और लीडर की बेटी उसकी अच्छी सहेली थीं, फिर भी कॉलेज की अधिकांश लड़कियाँ उसे रेड लाइट कहकर ही बुलाती थीं … एक तरह से रेड लाइट उसका उपनाम बन गया था, कई बार रेड लाइट सुनकर वह रुक जाया करती थी। एक बार एक लड़की को रेड लाइट कहने पर शहर के मेयर की लड़की ने काफी झाड़ लगाई थी तो निशा ने ही यह कहकर बीच बचाव किया था कि छोड़ो यार … अपना नैटिव प्लेस यही तो है। निशा अपने जीवन से पूरी तरह खुश थी। एक दिन वह कॉलेज से घर लौटी तो माँ के कमरे से किसी पुरुष की आवाज सुनकर उसके कदम थम से गये … कौन है यह ? …. अनदेखे पुरुष ने उसकी माँ से जो कहा … उसे सुनकर निशा को लगा कि किसी ने उसके कान के नीचे बम फोड़ दिया है ….. उसका पूरा जिस्म एकबारगी काँप उठा …..।
क्रमशः
( अगली कड़ी 13 फरवरी 2021 को )

