सतीश मापतपुरी

Romance

4.0  

सतीश मापतपुरी

Romance

रेड लाइट ( धरावाहिक )

रेड लाइट ( धरावाहिक )

3 mins
310


नौवीं कड़ी ………      


( निशा को साथ लेकर इंस्पेक्टर पुष्कर फिर से उसी घर में गया, जिसे निशा पहले ही अपना घर बता चुकी थी, आज घर में उस अधेड़ औरत का पति अम्बिका बाबू मौजूद थे। अम्बिका बाबू ने इंस्पेक्टर को निशा के माता - पिता के बारे में  बताया कि निशा के गुम होने के बाद उसके गम में माता एवम् बाद में उसके पिता का निधन हो गया। दोनों बेटे हमेशा के लिए नवाबगढ़ छोड़ कर चले गए। निशा फफक फफक कर रो पड़ी ….. अब आगे )


पुष्कर निशा के पास जाकर उसे समझाने लगा - ‘ होनी बहुत प्रबल होती है निशा ……तुम अपने घर न जाओ या घरवालों से न मिलो, शायद इसी में तुम्हारा कोई हित छिपा हो। ‘अम्बिका बाबू अचानक इंस्पेक्टर से बोल उठे - ‘ ऐसी बात नहीं है साहेब, भगवान एक हाथ से लेता है तो दोनों हाथों से देता भी है। समय कितना भी क्रूर क्यों हो जाय …. बेटी का मायका नहीं छोड़ा सकता, दो मिनट।‘ कहते हुए अम्बिका बाबू घर के भीतर झटकते हुए चले गए। इंस्पेक्टर को इस समय अम्बिका बाबू की चाल समय की चाल जैसी लग रही थी, समय कब क्या चाल चल दे कोई नहीं जानता। इंस्पेक्टर और निशा आशा भरी निगाहों से उस दरवाजे को देख रहे थे, जिससे अम्बिका बाबू अंदर गए थ। इंतज़ार की घड़ियाँ लम्बी होती है, इस धारणा को झुठलाते हुए अम्बिका बाबू उसी दरवाजे से बाहर आते दिखे ….. उनके हाथ में एक छोटी सी लाल डायरी थी। अम्बिका बाबू सीधे इंस्पेक्टर के पास आकर बोले - ‘विकास बाबू घर की रजिस्ट्री करने आये थे तो उन्होंने अपना पता और टेलीफोन नम्बर दिया था, दो तीन बार मैंने उनसे टेलीफोन पर बात भी की थी।’

‘विकास बाबू कहाँ रहते हैं ? ‘

‘दिल्ली में, बहुत बड़े आदमी हैं, ब्रांडेड कपड़ों का चार चार शोरूम है, छोटा भाई अमेरिका में इंजीनियर है। एक बात …खैर …जाने दीजिए। ‘ इंस्पेक्टर को अम्बिका बाबू का यह व्यवहार अजीब सा लगा।

‘क्या बात है बड़ा बाबू …. रुक क्यों गए ? जो भी बात हो, खुलकर कहिए। ‘

‘नहीं नहीं … बात तो कुछ भी नहीं है, बस एक विचार मन में आ रहा है कि माँ - बाप तो हैं नहीं भाई - भौजाई का क्या करेंगे कौन जानता है। ‘ इंस्पेक्टर इस बात पर कोई प्रतिक्रिया दिये बिना विकास का फोन नम्बर लिया और अम्बिका बाबू को धन्यवाद देकर निशा के साथ घर लौट आया।

      शाम को जब इंस्पेक्टर विकास को फोन करने लगा तो निशा उसे रोकते हुए बोली - ‘रहने दीजिए, मुझे लगता है फोन करने से कोई फायदा नहीं है।’

‘ क्यों ? ‘

‘ भईया पैसे वाले आदमी हैं, बड़े सोसाइटी में उठना - बैठना होगा उनका। अगर हम वहाँ जायेंगे तो लोगों को वो क्या बताएंगे, कौन हूँ मैं ?’

‘ ये बात तुम उनपर छोड़ दे, देखो तो क्या कहते हैं वो। ‘

इंस्पेक्टर ने विकास को फोन लगा दिया और दूसरे ही रिंग में विकास ने फोन उठा लिया। 

‘ हैलो , विकास बाबू ? ‘

‘ जी … आप कौन ? 

 …. क्रमशः 


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Romance