राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस पर नमन
राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस पर नमन
कक्षा के सभी विद्यार्थी प्रतिदिन की भांति आज भी आभासी बैठक (वर्चुअल मीटिंग) में समय से जुड़ गए। सभी ने एक दूसरे को औपचारिक रूप से अभिवादन किया और परस्पर एक दूसरे की कुशलक्षेम पूछी ।इसके पश्चात ओमप्रकाश ने पूछा साथियों हम सबको ध्यान है कि आज हमें किस विषय पर विचार विमर्श करना है ।
सभी विद्यार्थियों की और से आकांक्षा ने कहा - "हां, हां ,भाई ओमप्रकाश ! हम सबको याद है कि आज एक जुलाई है और एक जुलाई के दिन को हमारे 'राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस' के रूप में चिकित्सकों को उनकी अतुलनीय सेवा भावना के लिए याद करते हैं और उन्हें सम्मान देते हैं।अब तो तुम हम सबको यह विस्तार से बताओ कि हम एक जुलाई को राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस के रूप में क्यों मनाते हैं ? हम सब जानते हैं कि इसके बारे में तुम बहुत सारा शोध कार्य करके लाए होगे।"
ओमप्रकाश ने सभी को बताते हुए कहा कि एक जुलाई 1882 को जन्मे और एक जुलाई 1962 को इस मृत्युलोक को छोड़ने वाले डॉ बिधान चंद्र राय की स्मृति में हमारे देश में प्रतिवर्ष राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस मनाया जाता है उन्हें भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न 4 फरवरी 1964 को दिया गया था ।वह एक भारतीय फिजीशियन , शिक्षाविद, दार्शनिक और स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे जो 1948 से लेकर अपने पूरे जीवन काल अर्थात 162 तक पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री रहे उन्हें आधुनिक पश्चिम बंगाल का निर्माता कहा जाता है। उनकी माता का नाम अघोरकामिनी देवी और पिताजी का नाम प्रकाश चंद्र राय था। उनका जन्म ब्रिटिश भारत की बंगाल प्रेसिडेंसी में पटना के बांकीपुर स्थान पर हुआ था। पश्चिम बंगाल के विकास के लिए किए गए कार्यों के आधार पर उन्हें बंगाल का निर्माता माना जाता है उन्होंने पश्चिम बंगाल में नए शहरों की स्थापना की थी यह शहर है दुर्गापुर ,कल्याणी, अशोकनगर,बिधानननगर और हावड़ा।
उनके दादा जी प्रांकली राय पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद डिस्ट्रिक्ट के बरहमपुर कलेक्ट्रेट में कर्मचारी थे । उनके नाना जी विपिन चंद्र बसु बरहमपुर के एक जमींदर थे। 1967 में उनकी स्मृति में डॉक्टर बी सी रॉय मेमोरियल लाइब्रेरी और रीडिंग रूम की स्थापना बच्चों के लिए की गई।
साधना ने कहा डॉक्टर इस धरती के ईश्वर होते हैं। ईश्वर ने हमें जन्म दिया ऐसी मान्यता है लेकिन हम में से ईश्वर को किसी ने कभी नहीं देखा। केवल चिकित्सक ही हैं जो हमें हमारे स्वास्थ्य रक्षण की विधियों को बताते ,हमारी सहायता करते और हमारे जीवन पर संकट आने पर हमें मृत्यु के मुंह में जाने से बचाते हैं ।ईश्वर के बाद इस धरती पर यदि कोई प्राणों का रक्षक हैं तो वह चिकित्सक ही हैं। हमें सभी चिकित्सकों का हृदय से सम्मान करना चाहिए। हममें सिर्फ कुछ लोग कई बार जाने अनजाने में चिकित्सकों के साथ अभद्रता भी कर देते हैं। ऐसा कभी नहीं होना चाहिए ।कुछ ऐसे समाचार भी आ जाते हैं कुछ ऐसे लोग जो केवल नाम के चिकित्सक हैं जो भ्रष्टाचार के कृत्यों में लिप्त पाए गए हैं ।ऐसे लोगों को हमें चिकित्सक ही नहीं मानना चाहिए।उन सभी चिकित्सकों जो मानव और मानवता की रक्षा के लिए अपने पूरे मनोयोग के साथ एक वीर सैनिक की भांति अपने तन मन के साथ हमारी रक्षा में प्रस्तुत रहते हैं ऐसे सभी चिकित्सकोंकों का हम हृदय से कोटि-कोटि आभार करते हैं।