रांची यात्रा
रांची यात्रा


रांची भारत का एक महानगर, झारखंड प्रदेश की राजधानी और प्रमुख औद्योगिक केंद्र है। यह प्रधानमंत्री मोदी द्वारा स्मार्ट सिटीके रूप में विकसित सौ भारतीय शहरों में से एक है। यह भारतीय क्रिकेटर महेंद्र सिंह धोनी का गृहनगर है। इसे झरनों का शहर भी कहा जाता है। झरनों को रांची के पर्यटन उद्योग की जान कहा जा सकता है।
रांची शहर की 70 किलोमीटर की परिधि में कई जलप्रपात हैं, जो इसे सुंदरता प्रदान करने के साथ-साथ ठंडा भी बनाए रखते हैं, इसलिए रांची में अपेक्षाकृत कम गर्मी का आभास होता है। रांची के बड़ा तालाब में स्वामी विवेकानंद की भव्य प्रतिमा स्थित है। यह 33 फीट ऊंची कांस्य प्रतिमा राज्य की सबसे ऊंची प्रतिमा है। इसके पैडस्टल की ऊंचाई 14 फीट है। जिस टापू पर यह प्रतिमा स्थापित है, उसका क्षेत्रफल 300 वर्ग मीटर है और 150 वर्ग मीटर का ग्रेनाइट का चबूतरा है।
17 करोड़ की लागत से निर्मित इस प्रतिमा का वजन 9.8 टन है। जिस तालाब में इसे स्थापित किया गया है,उसमें दो ट्रैक हैं, जिन्हें आइलैंड-1 और आइलैंड-2 का नाम दिया गया है।
आइलैंड-1 लोगों के बैठने के लिए है। आइलैंड-2 में प्रतिमा लगायी गयी है। दोनों ट्रैक आपस में जुड़े हैं।
यहां से हम पहुंचे दशम जलप्रपात। यह रांची से लगभग 50 किलोमीटर दूर रांची जमशेदपुर मार्ग पर स्थित है। यहां कांची नदी 144 फीट की ऊंचाई से गिरती है। कभी इसमें 10 धाराएं थीं, जिसके कारण इसे दशम जलप्रपात कहा गया।
सीता जलप्रपात: शहर से इसकी दूरी करीब 45 किलोमीटर है। 50 फीट की ऊंचाई से यह प्रपात गिरता है। 50 सीढ़ियां उतर कर प्रपात के पास पहुंचा जा सकता है।
सीता जलप्रपात: शहर से इसकी दूरी करीब 45 किलोमीटर है। 50 फीट की ऊंचाई से यह प्रपात गिरता है। 50 सीढ़ियां उतर कर प्रपात के पास पहुंचा जा सकता है।
रास्ते में स्वर्ण रेखा नदी पर स्थित है
पंचघाघ प्रपात । यह रांची से 40 किलोमीटर और खूंटी जिले से 5 किलोमीटर की दूरी पर है। यह देश का एकमात्र प्रपात, जिसमे पांच धाराएं स्पष्ट दिखाई देती हैं।
अब हम हुंडरू जलप्रपात के करीब एक गेस्ट हाऊस के करीब से गुजरे।
हुंडरू जलप्रपात रांची से लगभग 49 किलोमीटर दूर है। स्वर्ण रेखा नदी पास से ही गुजरती है।
अगला जलप्रपात था, हिरनी जलप्रपात ,यह रांची से करीब 70 किलोमीटर दूर है। यहां 120 फीट की ऊंचाई से जल गिरता है। यह रांची- चक्रधरपुर मार्ग पर स्थित है।
जोन्हा जलप्रपात: यह शहर से 40 किलोमीटर की दूरी पर है। यहां बुद्ध का मंदिर भी है ,जिसे बिरला परिवार ने बनवाया है। बांग्ला के मशहूर कवि सुकांत भट्टाचार्य ने जोन्हा की खूबसूरती के बारे में खूब लिखा है। यहां आने पर इस जलप्रपात की खूबसूरती को निहारते ही बनता है।
रांची-सिमडेगा मार्ग पर केमता टोली गांव से महज दो किलोमीटर की दूरी पर बम्बियारी गांव के पास कोयल नदी पर बाघमुंडा जलप्रपात का दृश्य उभरता है। गुमला जिला मुख्यालय से इसकी दूरी 50 किलोमीटर एवं रांची से 100 किलोमीटर की दूरी है। बस अथवा निजी वाहन से बड़ी आसानी से यहां पहुंचा जा सकता है।
यहां से 35 किलोमीटर दूर पतरातू डैम है। बारिश के मौसम में यह घाटी बेहद ख़ूबसूरत नज़र आती है। यहां मोटर बोटिंग का लुत्फ़ उठा सकते हैं। यह प्रवासी पक्षियों का क्रीड़ा स्थल भी है।
यहां से 22 किमी की दूरी पर ओरमांझी में रूक्का डैम स्थित है।
इसके अलावा बेड़ो से 12 किमी तथा राजधानी से 47 किमी। की दूरी पर जंगल और पहाड़ों के बीच प्राकृतिक सौंदर्य से विभूषित स्थित है साई मंदिर, जो सैलानियों के लिए आकर्षण का मुख्य केंद्र है।
अलबर्ट एक्का चौक से 5 किमी की दूरी पर कांके रोड पर है रॉक गार्डन। इसे देखकर जयपुर के रॉक गार्डन का नजारा आंखों के सामने आ जाता है।
रांची से 25 किमी दूर रांची-खूंटी मार्ग पर बिरसा मृग विहार स्थित है। जहां 350 से भी ज्यादा हिरण हैं। इनके अलावा सांभर , चीतल, बारहसिंगा, मोर प्रमुख आकर्षण हैं। यह कांची नदी के किनारे स्थिति है और चारों ओर साल एवं सागवान के सुंदर लंबे वृक्ष हैं।
रांची से 24 किमी की दूरी पर ओरमांझी में बिरसा जैविक उद्यान स्थित है। यह झारखंड का सबसे बड़ा जैविक उद्यान है। इसकी स्थापना 1994 में हुई। यह 104 हेक्टेयर में फैला और दो भागों में बंटा हुआ है। एक जंतु अनुभाग और दूसरा वनस्पति अनुभाग। यहां बोटिंग की सुविधा भी है।