रामभक्त वीर हनुमान
रामभक्त वीर हनुमान
आज गांव की चौपाल पर बैठे रघुवर दयाल काका बच्चों को रामभक्त हनुमान की अपरम्पार लीलाओं की कहानी सुना रहे थे। हरीश बोला-दादा, हनुमान जी बचपन में भी वीरता के कार्य करते थे। दादा-हाँ, बेटा हरीश फिर उन्होंने संकटमोचन हनुमानाष्टक की पंक्तियां सुनाई-"बाल समय रवि भक्षि लियो तब,तीनहुँ लोक भयो अंधियारों। ताहिं सों त्रास भयो जग को, यह संकट काहु सों जात न टारो।। देवन आनि करी विनती तब, छाँडि दियो रवि कष्ट निवारो, को नहीं जानत है जग में कपि,संकटमोचन नाम तिहारो।।" हनुमान जी ने बचपन में लाल फल जान कर सूरज को निगल लिया था, देवों के द्वारा विनती करने पर रवि को मुक्त किया। पास में बैठा विमल बोला-दादू, हनुमान जी को सबके हितकारी, समुद्र को लांघते समय सुरसा राक्षसी का संहार किया था।दादा-हाँ,"जय हनुमंत संत हितकारी,सुन लीजै प्रभु अरज हमारी। जन के काज विलंब न कीजै, आतुर दौरि महा सुख दीजै।। जैसे कूदि सिंधु महि पारा, सुरसा बदन पैठि विस्तारा।। आग जाई लंकिनी रोका, मारेहु लात गई सुर लोका।।"हनुमान जी की शक्ति से गिरवर कांपते रहे है,उनके स्मरण से रोग दोष का नाश होता है। जब लक्ष्मण मेघनाद की शक्ति से मूर्छित हुए तो वीर हनुमान ने संजीवनी बूटी लाकर उनकी जान बचाई।बाई भुजा से दानव का संहार करने वाले हनुमान दाई भुजा से संतों को भव सागर से तारने वाले है। उनके इसी रूप के कारण उनकी राम भक्ति जग जाहिर है। हनुमान जैसे भक्तों के बिना राम अधूरे है। इसलिए बच्चों, हमें हनुमान के अदम्य साहस, मित्रता ,भक्ति की सीख लेनी चाहिए। आओ बच्चों आज मंगलवार है हम हनुमान मंदिर में बैठ कर सुंदर कांड का पाठ कर राम भक्त हनुमान को स्मरण करें, क्योंकि कहा जाता है" _भक्ति में ही शक्ति है।"
