Meera Ramnivas

Romance

4  

Meera Ramnivas

Romance

प्यार के वो पल

प्यार के वो पल

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 रविवार की खूबसूरत सुबह थी। किरण बगीचे में चाय की चुस्कियां ले रही थी। उसकी आंखें पेड़ पौधों पर लगे फूलों का आनंद ले रही थी। आसमान में सुबह का सूरज मुस्कुरा रहा था। अपनी कुनकुनी धूप से पेड़ पौधों को नहला रहा था।यू ट्यूब पर भजन सुनते हुए पेड़ पौधों को पानी पिलाने लगी।किरण ने घर के अग्र भाग में एक सुंदर बगीचा बना रखा था। जिसमें अपने पसंदीदा पेड़ पौधे गैंदा,मोगरा,गुलाब,रजनीगंधा,

तुलसी आदि लगा रखे थे।खिड़की के छज्जे पर मधु मालती मुस्कुरा रही थी। कुंडों में पुदीना, धनिया ,लैमन ग्रास फल फूल रहे थे।

छत पर कौवा बोल रहा था। किसी के आने का संकेत दे रहा था। पानी का पाईप पौधों में लगा कर पेपर पढ़ने लगी।

मुख्य द्वार खुला एक नौजवान को अंदर आते देखा। वह कुछ पूछती उसके पहले ही नौजवान ने नमस्कार की मुद्रा में हाथ जोड़कर कहा मैं करण हूं। मां ने आपके नाम चिट्ठी लिखी है।वही देने आया हूं। किरण हतप्रभ थी। वही नैन नक्श, वही कद काठी वही रंग।उसका सूरज जैसे करण बन कर उसके सामने खड़ा था ।

 आओ बेटे अंदर चलें।चाय बनाते हुए वह अपने अतीत में खो गई। सूरज और वह कालेज में मिले। साथ पढ़ते-पढ़ते दोनों में दोस्ती से कहीं ज्यादा गहरा रिश्ता बन गया। दोनों ने शादी करने का फैसला कर लिया। 

 कालेज की पढ़ाई पूरी होने से पूर्व ही सूरज अपनी मां को मनाने और किरण का हाथ मांगने के लिए शहर लिवा लाना चाहता था।रात की बस से वह गांव जा रहा था। 

मौसम बड़ा सुहाना हो गया था।सुबह से रिमझिम रिमझिम बरसात हो रही थी। कालेज से सूरज और किरण एक साथ रुम पर पहुंचे। दोनों बरसात में भीग चुके थे।बरसात की भीगी शाम ने दोनों के प्यार पर मुहर लगा दी।मन का मिलन बहुत पहले हो चुका था। बरसात की उस शाम तन का मिलन हो गया।

सूरज मां को लेने गांव गया लेकिन लौट कर नहीं आया। उधर किरण इंतजार कर रही थी।खबर आई कि सूरज दुर्घटना ग्रस्त हो गया चिकित्सा के दौरान ही दम तोड दिया। इधर किरण के नैन बरस रहे थे। उधर बरसात के बादल बरस रहे थे। प्रेम ऋतु बरसात किरण के जीवन में श्रृंगार के कुछ पल देकर सदा के लिए विरहा बना गई। 

किरण ने अपनी बड़ी बहन रौशनी को अपनी व्यथा कथा सुनाई। रौशनी समझदार थी। शादी शुदा थी। उसने मां पिता की आज्ञा लेकर किरण को अपने ही शहर में पढ़ने के लिए बुला लिया। रौशनी ने मां पिता को समझाया कि वह किरण का संबंध अपने देवर से करना चहती है। माता पिता बेटी की बात से सहमत हो गए। किरण दूसरे शहर आ गई।वह किराये के कमरे में रहने लगी ।

 किरण के गर्भ में सुगबुगाहट शुरू होने लगी थी। बरसात की भीगी शाम के पलों के प्यार भरे स्पर्श ने साकार होना शुरू कर दिया था।नौ माह बाद किरण ने एक सुंदर स्वस्थ बच्चे को जन्म दिया। बड़ी बहन रौशनी ने बच्चे के लालन-पालन की जिम्मेदारी अपने कंधों पर लेली।

सूरज संग बिताए पलों की याद में अपना जीवन बिताने की इच्छा जाहिर करते हुए दीदी के देवर से शादी का प्रस्ताव ठुकरा किरण दूसरे शहर चली आई। माता पिता को इस सब की ना जाने कैसे खबर हो गई। वे नाराज़ हो गये। बड़ी बहन की मदद से पढ़ाई पूरी करके किरण कालेज में अध्यापन कार्य करने लगी। सूरज की यादों के सतरंगी पलों के सहारे जीवन जीने लगी।

उधर करण रौशनी की बेटियों संग पलने लगा। करण को दत्तक लेकर रौशनी ने अपना बेटा बना लिया।रौशनी व किरण के माता-पिता ने दोनों बहनों को माफ कर दिया। दोनों को मिलने बुला भेजा। शर्मिंदगी के चलते किरण ना आ पाई। माता पिता गम में बीमार रहने लगे।बेटी के इंतजार में दोनों ने दम तोड़ दिया।

करण ने एम बी ए किया और किरण के शहर में कार्यरत कंपनी में जॉब मिल गया। इधर रौशनी बीमार रहने लगी थी।

रौशनी अपनी जिम्मेदारी अब किरण को सोंपना चाहती थी। रौशनी चाहती थी किरण अपने बेटे को जी भर कर देख सके। कभी कभी घर बुला सके। इसलिए चिट्ठी लिखी और पोस्ट द्वारा ना भेज कर करण के हाथ भेजी।

किरण की आत्मा अपने बेटे को देख कर तृप्त हो गई।इन पलों के खूबसूरत एहसास ने उसका सारा गम हर लिया। इस बार की बरसात किरण के जीवन में खुशियां लेकर आई थी। अंदर किरण की आंखें ख़ुशी में बरस रही थी। बाहर बरसात की बदली बरस रही थी।


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