"रानी मैना"
"रानी मैना"
(बाल कहानी)
सुनो बेटे !आज मैं तुम्हें नंदन वन के तोता और मैना की कहानी सुनाती हूं मां ने मोहक से कहा।
नंदन वन में जानवरों और पंछियों की चहल पहल लगी रहती थी। एक वृक्ष पर तोता और मैना का बसेरा था। तोता बातूनी था उसे सब बडकू कहते थे। मैना सदा चहकती थी उसे सब चुलबुल कहते थे। चुलबुली और बडकू गहरे दोस्त थे। दिन में दोनों अपने झुंड में रहते फलफूल खाते,पानी पीते। शाम होते ही पेड़ की शाख पर बैठ गपशप करते। रात को कहानी कही सुनी जाती थी। एक रात मैना कहती तोता सुनता दूसरी रात तोता कहता मैना सुनती। एक रात मैना तोते से बोली ---
कहानी पुरानी है मेरी नानी ने मां को और मां ने मुझे सुनाई थी। तब राजाओं का राज था। गांवों में कच्चे रास्ते हुआ करते थे। आवागमन के साधन नहीं थे। लोग पैदल आया जाया करते थे। लंबी दूरी के लिए बैलगाड़ी ,ऊंट, घोड़े, हाथी पर आना जाना होता था। घने जंगलों के रास्तों से गुजरना पड़ता था। घर पहुंचने में कई दिन लग जाते थे। अकसर राह में बदमाश लुटेरे लूट लिया करते थे। लोग दिन में ही यात्रा करते थे। अंधेरा होने पर राह के किसी गांव में ठहर जाते थे ।
राज्य में सुख शांति बनाए रखने की जिम्मेदारी राजा की थी। प्रजा निर्भय रहे, सुखी रहे। चोरी, लूटपाट की रोकथाम के लिए राजा के सिपाही और गुप्तचर तैनात रहते थे। लेकिन हर जगह सिपाहियों का पहुंच पाना संभव न था। कुछ बदमाश घने जंगल में छिप जाते थे। कोई राहगीर गुजरता उसे लूट लिया करते थे। लुटेरों ने अपनी गुप्त भाषा बना रखी थी। रास्ते पर निगरानी रखने के लिए गिरोह का एक बदमाश पेड़ पर चढ़ छिप जाता था। जैसे ही कोई राहगीर आता वह चिल्ला कर अपने सरदार को गुप्त भाषा में कहता "हर हर महादेव" कोई आ रहा है लूट लो" सुनते ही सरदार के इशारे पर जंगल में छिपे लुटेरे भाग कर राहगीर पर टूट पड़ते थे। उसे लूट लिया करते थे।
एक बार पेड़ पर से रानी मैना ने लूटपाट की धटना को अपनी आंखों से देखा। उसे बहुत बुरा लगा। रानी ने राहगीरों की मदद करने की ठान ली। मां ने बताया था कि उस समय मैना बिरादरी मानव भाषा बोलना जानती थी। मेरी नानी इंसान के साथ संवाद कर सकती थी। रानी राहगीरों को इस खतरे से आगाह करने लगी। उन्हें लुटने से बचाने लगी।
घने जंगल से गुजरने वाले रास्ते के पेड़ों पर से रानी मैना मुस्तैदी से हर आने जाने वाले पर नजर रखने लगी। लुटेरों की उपस्थिति से राहगीर को आगाह करने लगी। "सावधान !आगे खतरा है। पीछे लौट जायें। आगे लुटेरे हैं। " ये कौन बोल रहा है।
"नमस्ते! मैं रानी मैना हूं आपकी हितैषी। आगे लुटेरे हैं। तनिक गांव में विश्राम करें । खतरा टलने पर निकलें। ,मैं लुटेरों पर निगाह रख रही हूं । जैसे ही वे चले जायेंगे। मैं इशारा करूंगी। "जागो काम पर चलो"। तब आप निकलना।
रानी मैना की सतर्कता से राज्य में व्यापारियों संग होने वाली लूटपाट की वारदातें बंद हो गई। राज्य में व्यापार धंधा अच्छा चलने लगा। व्यापारी खुश थे। लूटपाट की घटनाओं पर रोक लगने की खबर राजा तक पंहुच गई। राजा ने मंत्री और गुप्तचरों को बुला भेजा। अच्छे काम की सराहना करते हुए इनाम देने की घोषणा कर दी। गुप्तचरों ने सच्चाई बताते हुए कहा "महाराज ये काम एक नन्हीं मैना का है। वह लुटेरों से राहगीरों को सावधान कर देती है। राजा को ये जानकर बहुत अचंभा हुआ। राजा ने रानी मैना से मिलने की इच्छा
जताई । रानी को राजमहल बुला लाने का आदेश दिया। रानी मैना राजा के बुलावे पर राजमहल पहुंच गई। "महाराज की जय हो" रानी ने राजा का अभिवादन किया। राजा ने खुश होकर कहा "आओ रानी ! मैं तुम्हारे काम से बहुत खुश हूं। तुमने राज्य के लोगों की निस्वार्थ सेवा की है। तुम्हारी नेकी के लिए तुम्हें इनाम देना चाहता हूं"। महाराज! राज्य का पंछी होने के नाते ये मेरा कर्तव्य है कि मैं भी राज्य के भाई बहनों के काम आऊं। मैं तुम्हारे सेवा कार्य के लिए तुम्हें"राज मैना" की उपाधि देता हूं। रानी को सम्मानित किया गया है जानकार समस्त मैना समाज में खुशी की लहर दौड़ गई। राज्य में रानी मैना के सम्मान की चर्चा होने लगी। रानी सबके लिए प्रेरणा का स्त्रोत बन गई।
व्यापारियों ने भी रानी मैना का सम्मान किया। वे रानी मैना से बोले हम पर तुम्हारे बहुत उपकार हैं। हमारी तरफ से तुम्हें जो सेवा चाहिए कृपया निसंकोच बताओ।
रानी ने कहा मुझे कुछ नहीं चाहिए। मैं सभी पंछियों के हित में इतना चाहती हूं कि हर गांव में पंछियों के लिए दाना पानी की व्यवस्था हो। पेड़ों को काटना बंद हो। ज्यादा से ज्यादा छायादार पेड़ लगाए जायें।
जिससे पंछियों को कोई तकलीफ ना हो।
व्यापारियों ने रानी मैना को भरोसा दिलाते हुए कहा हम मिलकर गांव गांव में पंछियों के लिए दाना पानी की व्यवस्था करेंगे।
इधर रानी मैना की चतुराई से लुटेरों का धंधा चौपट हो गया था। लुटेरों ने रानी मैना को मारने की योजना बनाई। किंतु असफल रहे। वे राजा के सिपाहियों द्वारा पकड़े गये। उन्हें कैद की सजा सुनाई गई ।
रानी मैना को राजा ने गुप्तचर का कार्य सोंपा । रानी मैना गांव गांव घूम कर प्रजा के कष्ट जानकर राजा तक पहुंचाने लगी। प्रजा के कष्ट दूर होने लगे । राजा के मंत्री और गुप्तचर भी कार्यशील हो गये। राज्य में सुख शान्ति फैल गई। रानी मैना
सबकी प्रिय बन गई। ।