Meera Parihar

Romance

3  

Meera Parihar

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प्यार का अचार

प्यार का अचार

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' रेखा! प्लीज़ मेरे साथ चलो न। हम दोनों ही अपने राज्य में जाॅब करेंगे।' सुंदरम ने अपने सम्बन्धों की दुहाई देते हुए कहा।


' क्या सुंदरम ! मैं यहीं दिल्ली में रहना चाहती हूँ। यहाँ के लोगों से प्यार हो गया है मुझे।'


'मेरा प्यार भी तो है, उसका क्या?'


' रुक जाते हैं यहीं सुंदरम !'


केरल में मेरे माँ-पापा अकेले रहते हैं । वहाँ अपना घर भी है।'


' यहाँ पर मेरे मम्मी-पापा हैं। उन्हें अपने साथ रखेंगे। '


' सब लोग यहाँ कैसे रह सकते हैं। फ्लैट में जगह ही कितनी होती है। '


'यार ! जगह दिल में होती है, घर तो हमेशा ही छोटे पड़ जाते हैं ?'


'काश: यह संभव होता। मेरा परिवार, राज्य ,वहाँ का खाना, संस्कृति...'


'ठीक है सुंदरम ! मैं फिलहाल नहीं जा पाऊँगी।'


'शादी करके तो आओगी न ? मैं पहुँच कर इस संबंध में बताऊँगा, लड़कियों को तो अपना घर छोड़कर जाना ही पड़ता है ?'


'मैं तुम्हारे लौटने का इंतजार करूँगी।'


लगभग एक साल तक दोनों ही अपने अपने काम में व्यस्त हो गये। सुंदरम ने अपनी शादी का कार्ड रेखा को दिखाते हुए कहा, मैं शादी करने जा रहा हूँ।'


' लेकिन हमारा प्यार ?'


' उसका अचार डालेंगे।'

एक दिन कुलदीप ने जो कि रेखा के कालेज में लेक्चरर था। कहा, रेखाजी ! काफी पीने चलते हैं। इसके बाद वे हर वीकेंड बाहर जाते, एक दूसरे को समझने की कोशिश करते।

एक दिन रेखा ने कुलदीप को अपने घर रात के खाने पर बुलाया। डायनिंग टेबल पर ही प्यार के अचार का कंटेनर रख दिया। कुलदीप ने अचार के बारे में रेखा से पता किया। उसने भी विस्तार से बताया ये मेरे पहले प्यार की निशानियों का अचार है। क्या तुम अब भी मेरे साथ नजदीकियां बढ़ाने के लिए तैयार हो?  ऑफकोर्स रेखा जी।



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