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Meera Parihar

Inspirational

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Meera Parihar

Inspirational

लाइफबॉय

लाइफबॉय

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घर में लाइफबॉय की टिकिया आयी थी। पर न जाने कहाँ गायब हो गयी। नित नयी खिचखिच, पूरा घर उलट-पुलट।

कहीं चूहे तो नहीं ले गये या किसी से फ्लश में तो नहीं गिर गयी। तमाम आशंकाएं, बक्से खिसकाएं गये। बहुत कुछ उनके पीछे गिरा हुआ मिल गया। दीदी का रूमाल,लाली की चढ्ढी,मुन्नू का तौलिया,दादी की जपने वाली माला, पापा का प्रिय तौलिया, अखबार... पर लाइफबॉय की टिकिया उन सामान के बीच भी नहीं। चलिए इसी बहाने सफाई हो गयी और व्यवस्था भी। पापा ने गहरी सांस लेकर कहा। घर में मन बनाया जा चुका था कि हो सकता है दुकानदार से ही गलती हो गयी हो। हो सकता है लाना ही भूल गये हों। चलिए अब यह अध्याय बंद करते हैं, पापा ने कहा।

"अब कोई भी नहीं ढूँढ़ेगा 'लाइफबॉय 'बिना वजह कहीं लाइफ पर ही न बन जाए। सोचो जरा बिल में हाथ डालते वक्त कहीं चूहा काट ले तो ? या फिर बक्से हटाते हुए स्लिपडिस्क हो जाए तो ? हो जाएगी बाय-बाय लाइफ, लाइफबाॅय के चक्कर में। समझ लीजिए कि भाग्य में ही नहीं थी। वह कहावत क्या ऐसे ही बनी है कि पाई-पाई पर लिखा है आपने वाले का नाम। "


"हमने तो नहीं सुनी है यह कहावत" , मम्मी जी ने हस्तक्षेप करते हुए कहा।


"क्या ! नहीं सुनी ! तो कोई बात नहीं, हिंदी साहित्य में जुड़वा देते हैं यह कहावत भी। पेटेंट भी करवा लेते हैं अपने नाम से। कुछ रॉयल्टी मिले तो ले लेंगे नहीं मिले तो भी किसी के सामने हाथ नहीं फैलाना हमें । हम कोई ऐरे गेरे नत्थू खैरे हैं क्या ?

न जाने कितनी लाइफबाॅय को खिस-खिस कर बाॅय-बाॅय कर दिया है हमने । एक की गिनती और सही । चलिए इसी बात पर गम गलत करने के लिए गरमा गरम समोसे लेकर आता हूँ। चाय बना के रखना समझीं लाइफ पार्टनर ! "


वह सीधे कालोनी की हलवाई की दुकान पर पहुँचे। "चार समोसे तो देना देना। दीनानाथ जी !"तभी पीछे से तख्त पर समोसे बना रहे लड़के ने कहा, "अंकल जी ! अपना लाइफबाॅय लेते जाइएगा । उस दिन जब आप सुबह-सुबह कचौड़ी लेने आए थे, तब यह थैली यहाँ पर छोड़ गए थे।"

" आश्चर्य बच्चे ! आश्चर्य ! लाइफबॉय यहाँ पर है और तुमने इसे इतने दिन तक संभाल कर रखा है। क्या कभी यह ख्याल नहीं आया कि इसका इस्तेमाल कर लें। काबिले तारीफ ! इसे कहते हैं भारतीय सभ्यता, संस्कार ! अखबार वाले क्या जाने की भारत में आज भी ईमानदारी जिंदा है। अच्छी खबरें छापें, जिससे लोगों को प्रोत्साहन मिले। अच्छे संस्कारों की शिक्षा मिले। पता नहीं किस समय रुकेगी भारत की छवि खराब करने की कोशिश। नित्य वही झगड़ा ,फसाद ,उन्माद, हिंसा, अतिरेक की खबरें। अरे कोई है जो इस बच्चे के जज्बे को दाद दे सके। इसकी तारीफ कर सके ...यही तो है हमारे देश के बच्चे सच्चे लाइफबाॅय।


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