पूतना
पूतना
"आपकी 'पूतना' मर गयी।" पुलिस अधिकारी के कहते ही मोहल्ले में हर्ष की लहर दौड़ गयी। पुलिस अधिकारी पंचनामा का आदेश देकर उसकी फाइल पढ़ने लगा। लगभग एक महीने पहले जाने कहाँ से आई उस पागल महिला से पूरा मोहल्ला त्रस्त था। कभी वो महिलाओं के दूधमुंहे बच्चों को छीनने का प्रयत्न करती तो कभी अपने वस्त्र तितर-बितर कर दिन-रात देखे बिना वो चिल्लाती हुई रोती रहती। उस भयावह दृश्य और आवाज़ से छोटे बच्चे तो क्या बड़े भी डरने लगे। बूढ़ी औरतों ने तो उसे राक्षसी पूतना नाम दे दिया।
दस दिन पूर्व पुलिस में रिपोर्ट होने के बाद से वो छिपी रहती थी लेकिन आज उसने हद ही कर दी एक दूधमुंहे बच्चे को माँ की गोद से छीन कर भाग गयी। उसके पीछे मोहल्ले के लड़के भागे, बच्चे को जैसे-तैसे छीन कर, उनमें से एक लड़के ने उसके पेट में जोर से लात मारी तो वो कंटीली घनी झाड़ियों में जा गिरी। कुछ देर तो शांत रही, फिर झाड़ियों में से कुछ उठाया और तेजी से हँसी, कुछ देर बाद वो लेटे-लेटे पैर पटकने लगी, और फिर चुप हो गयी।
पुलिसकर्मियों ने जब झाड़ियाँ हटा कर देखा तो 'पूतना' के नीचे दब कर एक कुतिया मर गयी थी, मरने से पहले उस कुतिया ने उसे जगह-जगह पर काटा था, जिसके कारण संक्रमित होकर वो भी मर गयी।
फाइल का आखिरी पन्ना पढ़ कर पुलिस अधिकारी ने फाइल बंद कर दी।
वो बात और थी कि उस कुतिया के पिल्ले अभी तक पूतना का स्तनपान कर रहे थे और उसके मृत चेहरे पर हँसी साफ़ दिखाई दे रही थी।