पत्रकारिता का महत्व
पत्रकारिता का महत्व
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पत्रकारिता दिल को छू लेने जैसा एहसास है जो दूसरों की इच्छाओं , विचारों को समझकर उसके साथ रिश्ता बनाकर उनकी भावनाओं को व्यक्त करना और उनकी पीड़ा को खुद महसूस करके जनता से रुबरु करना जनता के साथ मिल कर सरकार को एहसास कराने का नाम पत्रकारिता है, पत्रकारिता के कई रूप रंग नजर आने लगे हैं, मकसद सब का एक है बुराई को अच्छाई की ओर ले जाना अच्छाई से जागरूकता लाना दोनों की दिशा समाज मे बदलाव के लिए काम करना है और देश के भविष्य में चार चांद लगाना पुरानी कुरीतियों से बाहर निकालना समाज में हो रहे दर्द से पहचान करना ही पत्रकारिता है, पत्रकार की पहचान सादगी है, दिल नरम और कलम की ताकत का एहसास ही पत्रकारिता ने जीवन में बदलाव की कहानी सुनाई। पत्रकारिता ने देश को गुलामी की जंजीरों से तोड़ा सती प्रथा से लेकर हर बुराई को समाज के सामने रखा कभी समाज सेवक के रुप में आंदोलन के साथ तो कभी प्यार से अपनी बात मनवाई।
आज पत्रकारिता की सही पहचान लुप्त होती जा रही है, सादगी रही नही पत्रकारिता एक बिकाऊ बाजार की तरह है ,कौन अच्छा सौदागर है। दर्द के लिए दिल की जगह जेब की लंबाई कितनी है और सामने वाला कितने दाम लगा सकता है कुछ ही पत्रकारिता को गंभीरता से लेते हैं दिल में धड़कन नही दिल तो मांस का एक टुकड़ा है जिसका काम जज्बातों से नही हुनर का कमाल है।
पत्रकार तो सब बना चाहते पर पत्रकारिता को कोई सही दिशा कोई नहीं देना चाहते हैं कुछ देते है तो समाज के डर से बचने के लिए नही तो पत्रकारिता मर ही चुकी है बस कुछ सांस वेंटिलेटर पर जिंदा है इसलिए पत्रकारिता जिंदा है।पत्रकारिता का सही मतलब समाज में जगरूकता लाना है सही गलत की पहचान करना है गलत को शीशा दिखना है सही को ऊंचा उठना है।
पत्रकारिता को डर से हंका नही जा सकता है पत्रकारिता शिव की शक्ति का वह त्रिशूल है तो कभी कृष्ण का सुदर्शन चक्र तो कभी देवी माँ के दस हाथों की शक्ति का रक्षक है।