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Archna Goyal

Abstract

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Archna Goyal

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पृथ्वी

पृथ्वी

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     आज पल्लवी को देर हो गई थी विद्यालय जाने में

बच्चो को ब्रहमांड पर पढ़ाने के लिए वो खुद देर तक पढ़ती रही थी । फिर भी वो भागे भागे अपना काम निपटा समय से कक्षा में पहुँच ही गई थी। कक्षा में प्रवेश करते ही बच्चो ने गुड मार्निंग मैडम कहा ,,,,,, जवाब में पल्लवी ने भी गुड मार्निग बच्चो कहा।    आकर वो कक्षा में पढ़ाने लगी!

     "  हाँ तो बच्चो ध्यान से सुनो! आज हम ब्रहमांड के विषय पर पढ़ेगे । हमारे ब्रमांड में नौ ग्रह है । बुध, शक्र, पृथ्वी, मंगल, वृहस्पति, शनि , अरुण , वरुण , यम ।

जिनमें से सबसे खुबसुरत है पृथ्वी। जिस ग्रह पर हम रहते है । अब तुम सब के मन में ये प्रश्न होगा कि पृथ्वी पर ऐसा क्या है जो ये इतनी खुबसुरत है ।

    तो सुनो! पृथ्वी पर ही जीवन है। इसके अलावा किसी और ग्रह पर जीवन नही है ।  पृथ्वी भगवान का दिया हुआ सबसे अनमोल उपहार है मानव जाति को। यही पर प्राणी रहते है । मानव पशु- पंक्षी पेड़-पौधे आदि। जल हवा खेती बड़े बड़े पहाड़ सब यही पर है। "

   तभी रिंकु बीच में ही बोल पड़ा। .

"तो मैडम जी और जो बाकी 8 ग्रह है, वहाँ क्या है।"

मैडम बोली उसके बारे में तुम्हे अगले अध्याय में पढ़ाया जाएगा। आज पहले पृथ्वी पर बात होगी। हा तो हम कहाँ थे,,,,,,!

      विवेक----जी हम बड़े बड़े पहाड़ पर चर्चा कर रहे थे,, तभी सभी बच्चे हँस पड़े। साअलंट कह कर मैडम ने चुप किया।

     हा तो बच्चो अगर ये वायू जल पहाड़ झरने मिट्टी वनस्पति नही होगे तो मानव भी नही जी पाएगा। क्युं कि मानव शरीर पंचतत्व से बना है। और इसके बिना जीना मुश्किल है। ये मानव शरीर की आवश्यकता है।

हमें इन चीजो का ख्याल रखना चाहिए।

      कैसे मैडम जी,,,,,, संदीप बोला! और भी बच्चो ने हाथ उठाया कहा ,,,,जी मैडम।

    तो सुनो!  पेड़-पौधे जादा से जादा लगाने चाहिए , ताकि वातावरण शुद्ध रहे । वनस्पति आक्सीजन छोड़ती है, और कार्बनडाइआक्साइड लेती है । मतलब दुषित हवा को शुद्ध करती है। पानी की बरबादी नही करनी चाहिए , नदी नालो को दुषित नही करना चाहिए। तुम देख रहे हो न कितनी तेजी से हमारे देश की आबादी बढ़ रही है । अगर यही गति रही जनसंख्या वृद्धी की तो हमारी आने वाली पीढ़ी को कुछ नही मिलेगा । बिजली भी हमें जितनी जरुरत हो उतनी इस्तेमाल करनी चाहिए। क्युं कि बिजली भी पानी से ही बनती है। पानी की खपत जादा करेगे तो आने वाली पीढ़ी को परेशानियो का सामना करना पड़ेगा। हमें चाहिए कि सब चीजे देख कर ही इस्तेमाल करें। जितनी जरुरत हो उतनी ही। मैडम की नजर पढ़ाते पढ़ाते कोमल पर गई, जो कागज फाड़ कर फेंक रही थी ।

     मैडम ने कहा,,,, बेटे कागज की बरबादी मत करो, तुम जितना कागज बर्बाद करोंगे , उतने ही जादा पेड़ काटने पड़ेगे। क्युं कि,,,,,मैडम की बात को काटते हुए संदीप बोला कागज भी पेड़ो से ही बनते है । है न मैडम जी । जवाब में हँस्ते हुए हा में गर्दन हिलाई ,,,,, मैडम ने ।

     वाहन भी समय समय पर ठीक करवाते रहना चाहिए। ताकि वो प्रदुषन ना फैलाए। कारखानो में भी प्रदुषन के बचाव की व्यवस्था होनी चाहिए।

भोजन भी व्यर्थ न करो। अगर बच जाए तो किसी जरुरतमंद को दे दो । फेंकना अच्छी बात नही।

    तभी रिंकु बोला मैडम जी ये यश है न रोज अपना टिफिन पुरा नही खाता है बचा हुआ डस्टबीन में डाल देता है।

       मैडम ने घुरते हुए रिंकु की तरफ देखा,,, और कहा गंदी बात बेटे । आगे से ऐसा नही करना ,,वादा करो तुम ही नही सब बच्चे ,,, कभी भोजन बरबाद नही करोगे  ,,,,जी मैडम ,,,,सभी ने कहा ।

       हमारे देश में अमीरो के मुकाबले गरीबो की संख्या जादा है ।उन्हे पेट भर भोजन भी नसीब नही होता है । ऐसे ही काफी सारी बातें है जो अपनाने से हमारी पृथ्वी पर आने वाले संकट से बचा जा सकता है।

     हाथ उठाकर परिवेश ने कहा,,,, मैडम जी ,,, ये प्रदुषन कैसे नुकसान पहुँचाता है धरती को।

            बहुत अच्छा सवाल है। बच्चो ! जब प्रदुषन फैलता है तब धरती पर वातावरण का तापमान बढ़-जाता है , इससे वर्षा पर असर होता है। जब वर्षा समय पर नही होगी तो नदी नाले सुख जाएगे । खेती-बाड़ी भी नही हो पाएगी।  दिसम्बर से ले कर मार्च तक ठंड नही पड़ेगी तो बहुत सी फसलो को नुकसान होगा । और सबसे बड़ी समस्या तब आएगी। समस्या नही कह सकते इसे प्रलय कहा जाएगा। अगर तापमान हद से जादा बढ़ गया तो गलेशियर पिघलने लगेगे। और समुंद्र मे पानी के बढ़ जाने से ये दुनिया डुब जाएगी।

     हमारा जीवन जुड़ा है सृष्टी से ,,,,मिट्टी न होगी तो सतह नही होगी , सतह पर ही जल टिका है चाहे गहराई कितनी ही हो नदी की सागर की, वनस्पति को भी मिट्टी पानी चाहिए साथ ही हवा भी । और मानव को तो ये सब चीजे चाहिए ही चाहिए । इन बिना उसका जीवन दुश्वार है ।

       इसलिए हमें चाहिए कि हम अपनी धरती को बचा के रखे संभाल के रखे आने वाले संकट से। जैसे तुम अपनी प्यारी चीज को अपने हाथ में मजबुती से संभालते हो। उसे किसी भी खतरे में नही आने देते।                   जैसे हमारा परिवेश जब अपने नुक्कड़ की दुकान से बारिश में भीगते हुए चोकलेट लाता है, तो वो खुद भींग जाता है पर अपनी हथेली में चोकलेट को नही भींगने देता , अपनी दुसरी हथेली से ढ़क लेता है । सब बच्चे हसने लगते है ।

क्युं कि ये सृष्टी हमारी है और हम सृष्टी से है!!!!

       तभी कक्षा की घंटी बजी पीरियड खत्म हो गया था । पर बच्चो में पृथ्वी पर और बहुत कुछ जानने की जिज्ञासा बाकी थी !

पृथ्वी पर जितना कहा जाए उतना ही कम है।अंतहीन है पृथ्वी तो इसके लिए शब्द भी अंतहीन है !!!



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