परी का परिवार
परी का परिवार
परी बहुत ही सुलझी हुई लड़की थी। उसे चिड़ियों से बहुत लगाव था, विशेषकर गोरैया से। परी को बुलबुल भी बहुत प्यारी लगती थी। जब परी विद्यालय जाती थी, तब वह रास्ते में मिलने वाली चिड़ियों के लिये अनाज के दाने लेकर जाती थी। वह चिड़ियों को दाना डालती उनका बहुत ख्याल रखती।
जब वह इक्कीस बर्ष की हुई तो उसके मातापिता उसकी शादी करने के बारे में सोचने लगे। कुछ समय बाद वो परी के लिये एक लड़का भी देख आये। लड़के वालों को अपने घर आने को भी कह आये।
दो दिन बाद लड़के वाले परी को देखने आये। सबको परी बहुत पसंद आई। परी एक पड़ी लिखी लड़की थी। वो बहुत ही कोमल स्वाभाव की थी। उसने कभी किसी का दिल नहीं दुखाया था।
लेकिन जब लड़के की माँ ने परी से पूछा बेटी तुमको क्या पसंद है? नाच गाना आता है? खाना बना लेती हो या नहीं? हमारे घर पर चार दुधारू जानवर भी हैं जो बहुत दूध देते हैं। उन सबकी देखभाल कर सकोगी? हमारे परिवार को खुश रख सकोगी ?
परी यह सब चुपचाप सुनती रही। जब उसको लगा की अब सबको अपने मन की बात बता ही देनी चाहिये।
तब परी ने कहा माँ जी, आप चाहती हैं की आपके बेटे की पत्नी ऐसी हो जो आपके परिवार के लोगों को खुश रखे और आपके घर में पालतू जानवरो की देखभाल करे। लेकिन मुझे मांफ करना आप, क्योंकि मेरा भी एक परिवार है जिसे छोड़कर कहीं नहीं जाउंगी आइये आप सब मेरे साथ।
सभी परी के पीछे-पीछे चलने लगे। परी उन सब को अपने घर की छत पर लेकर आई। सभी देखकर हैरान रह गये कि परी को देखकर छत पर सैकड़ों चिड़िया परी के पास आ गई हैं और तो और एक गौरय्या परी के कंधे पर बैठकर परी को प्यार करने लगी। पूरी छत चिड़ियों से भर गई। कई कबूतर भी आ गये।
परी ने कहा यह है मेरा परिवार। मैं कभी शादी नहीं करूंगी। ये परी का परिवार है। परी पूरी जिन्दगी इस परिवार का ख्याल रखेगी।
परी की बात सुनकर सभी भावुक हो गये। परी की माँ ने कहा बेटा जैसी तुम्हारी इच्छा होगी हम वैसा ही करेंगे।
हम सब तुम्हारे साथ हैं।
