Turn the Page, Turn the Life | A Writer’s Battle for Survival | Help Her Win
Turn the Page, Turn the Life | A Writer’s Battle for Survival | Help Her Win

Anupama Thakur

Abstract

4  

Anupama Thakur

Abstract

पढ़ी-लिखी बहू

पढ़ी-लिखी बहू

2 mins
325


प्रातः मैं अपने पति के साथ टहल कर लौट रही थी। तभी अग्रवाल भाभी ने आवाज लगाई । मैंने पति से प्रतीक्षा करने के लिए कहा और मैं अग्रवाल भाभी के निकट पहुंची । अग्रवाल भाभी अपने सिर को पल्लु से ढके अपनी बड़ी इमारत के आंगन में पानी छिड़क रहे थे। हाथ का मग एक और रखकर मुस्कुराए और कहा, ’’हर रोज जाते हो क्या घूमने के लिए ?’’ मैने कहा, ’’हाँ कोशिश तो यही करते हैं पर कभी कभार छुट्टी हो ही जाती है।’’ 

उनके चेहरे पर थोड़े हिचकिचाहट के भाव दिख रहे थे।’’ उन्होंने कहा, ’’तुम्हारे स्कूल के बच्चे होंगे तो ट्यूशन के लिए भेजो।’’ मैंने आश्चर्य से पूछा, ’’आप ट्यूशन लेते हैं क्या ?’’ 

उन्होंने कहा- ’’नहीं मेरी बहू लेती है।’’ मैंने पूछा, ’’कितनी पढ़ाई हुई है उसकी ? ’’ अग्रवाल भाभी के चेहरे पर गर्व के भाव झलक रहे थे । उन्होंने कहा, ’’इंजीनियरिंग किया है।’’ मैंने आश्चर्य से पूछा ’’फिर नौकरी क्यों नहीं करती? ट्यूशन से कितना मिलेगा?’’ अग्रवाल भाभी ने तापाक से कहा, ’

’नहीं, नहीं, हमारे घर में बहू बाहर जाकर काम करें यह पसंद नहीं है और फिर वह बाहर जाएगी तो घर का काम कौन करेगा? बेटे को पढ़ी- लिखी बहू चाहिए थी।

समाज में भी तो सब पूछते हैं ना ?’’ 

मैं हैरान थी उनकी सोच पर। मैंने कहा, ’’ठीक है। बच्चों को मैं बता दूंगी कि आपके यहां ट्यूशन क्लसेस चलते हैं ।’’ और तुरंत मैं वहाँ से निकल गई। पति ने पूछा, ’’ क्या हुआ ?’’ मैंने क्रोध में भरकर कहा, ’’लोगों को पढ़ी- लिखी बहू भी चाहिए जो पैसा भी कमाए और घर का काम भी करें।’’


Rate this content
Log in

More hindi story from Anupama Thakur

Similar hindi story from Abstract