Anupama Thakur

Inspirational

4.5  

Anupama Thakur

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अधिकार

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मन में संदेह एवं डर के साथ रीना बॉस के ऑफिस के दरवाजे पर पहुंची। डरते -डरते बाहर से पूछा, " क्या मैं अंदर आ सकती हूं ?" अंदर से ही एक रौबील आवाज आई -"यस"

साहब अपने काम में व्यस्त , नीचे सर झुकाए, कुछ फाइलें उलट पलट रहे धे। रीना डरी सहमी ऐसे ही खड़ी रही मानो उससे कुछ अपराध हो गया हो। काम खत्म होने पर बॉस ने सिर ऊपर उठकर कहा , "कहिए।"

रीना ने धीमे स्वर में कहा, "मुझे अपनी बेटी के पैरेन्टस मीटिंग के लिए जाना है, छुट्टी चाहिए।"

छुट्टी का नाम सुनते ही बाॅस भड़क उठा और कहा, "तुम लोगों का कुछ ज्यादा ही हो रहा है, बहुत छुट्टियाँ ले रहा है हर कोई।"

रीमा ने डरते हुए कहा, "मैंने तो सिर्फ दो ही छुट्टियां ली है ।" बॉस ने कहा, "तुम लोग अपने सारे काम छुट्टियों के हिसाब से क्यों नहीं प्लान करते ।" रीमां ने कहा, "सर हमारे हाथ में होता तो जरूर ऐसा करते, पर कॉलेज वालों ने मीटिंग ही वर्किंग डे पर रखी है।" बाॅस ने खीजते हुए कहा , "हां ठीक है, ले लो।" और वह अपने काम में व्यस्त हो गया । रीना को बॉस के व्यवहार पर बहुत क्रोध आ रहा था, वह सोचने लगी कि कुछ लोगों की 10 छुट्टियां हो चुकी है, उन्हें तो कुछ नहीं कहा पर मुझे एक छुट्टी के लिए एहसान जताया जा रहा है।

शाम को रीमा जब घर लोटी तो आते ही कामवाली बाई ने कहां, "मैडम मैं कल नहीं आ सकती,  मुझे गांव जाना है।" रीमा ने पूछा, "क्या काम है? " कामवाली ने कहा, " मेरी बेटी के लिए लड़का देखना है ।"  रीमा भड़क उठी। "अभी तो परसों ही तो गई थी । " कामवाली तपाक से बोल पडी, "रहने दो, आपके काम के लिए अपने बेटी को घर में बैठा कर रखती ।" रीमा के मुंह से एक शब्द भी ना निकला वह आश्चर्यचकित होकर सुनती रही और सोचती रही कि मैं पढ़ी -लिखी हो कर भी अपने बॉस से इतना भी नहीं बोल पाई कि आप औरों की छुट्टी के लिए मुझे क्यों डांट रहे हैं? मुझसे भली तो यह अनपढ़ कामवाली है जो अपने अधिकार जानती है और उनका उपयोग करना भी जानती है । उसे अपने आप पर तथा अपने पढे-लिखे होने पर शर्म महसूस हुई। 


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