Anupama Thakur

Tragedy

3  

Anupama Thakur

Tragedy

समाज की मानसिकता

समाज की मानसिकता

1 min
19


आज से भले ही हमारा समाज आधुनिक हो गया है, यहाँ पढ़े लिखे लोग हैं, परंतु पुत्र के संबंध में आज भी लोग वही पुरातन सोच रखते हैं। ऊपर से दिखाते हैं कि लड़की होना सौभाग्य बात है परंतु मन में लड़के के जन्म की ही कामना करते है।

इस कड़कड़ाती ठंड में वह निर्दयी आज फिर अपनी बेबस बूढ़ी माँ को मंदिर के समक्ष छोड़ कर चला गया। सर्द बर्फ सी फर्श पर वह बैठ गई और आने वाले भक्तों के सामने हाथ फैलाने लगी। प्रतिदिन मीरा यही दृश्य देखती और मन ही मन उस वृद्धा के निर्दयी बेटे को कोसती। कितने दुख सहे होंगे वृद्धा ने उसका पालन- पोषण करने में, और यह निकम्मा इस उम्र में उससे भीख मँगवा रहा है। वह खुद को खुशकिस्मत समझती कि ईश्वर ने केवल उसे बेटियाँ ही दी हैं।

आज मीरा के बेटी की डिलीवरी है। वह माता के समक्ष हाथ जोड़कर प्रार्थना कर रही है - "हे माता, मेरी बेटी की डीलवरी अच्छे से होने दें और उसे एक स्वस्थ पुत्र दें। बस यही आपसे प्रार्थना है।"


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Tragedy