प्रेत हवेली

प्रेत हवेली

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एक छोटे से गाँव में इमरान, केशव और अमर तीनों दोस्तों का बचपन साथ-साथ ही बिता था इमरान कारपेंटर काम करता है, केशव अपने पिता की किराने की दुकान पर काम करता था, अमर मज़दूरी करता था गाँव के पास में नव दुर्गा पर मेला लगता है। 


 तीनों रंगीले स्वभाव के थे उम्र होगी कोई 16के आस-पास जवानी का जोश और लड़कियों को ताड़ना मस्ती मज़े करना यहीं लाइफ थी। 


 उन तीनों ने मैले में जाने का प्रोग्राम बनाया नवरात्रि की वजह से खूब रोनक रहती है । पर गाँव में कई तरह की कहानियाँ भी प्रसिद्ध है भूत-प्रेत की तीनों लड़को में दो डरपोक भी रहते,मंत्रों का जाप करते कभी हंसी ठीठोली करते दो तीन दिन तो अच्छे से घूम आए एक दिन गाँव का का तांत्रिक जो शमशान में तांत्रिक क्रिया ,लाश की भस्म लेकर तांत्रिक क्रियाओं को करके जादू-टोने करता है मिल जाता है । 


रात के 1 बज जाता है , और वो तीनों दोस्तों को दो सगी बहनों का किस्सा सुनाता है, कैसे वो मरी उनके गाँव की पुरानी हवेली में आज भी उनकी आत्मा घूमती है, वो हवेली उनके लोटने के रास्ते में पड़ती है। 


 तांत्रिक बताता है हमारे दादा, परदादा बताते थे कि उन दोनों बहनों के साथ गाँव के जमींदार के बेटे ने उनकी इज्जत लूटी थी और फिर पेड़ पर फांसी पर लटका दिया था । अब तीनों लड़के लगे तेज-तेज कदम चलने तांत्रिक कहता है,अरे भय्या हमे क्यों पाछे छोड़े जा रहे हो।


 तीनों दोस्त एक दूसरे को कहते हैं। साला ये केशव हेना जबरन ही इस तांत्रिक रामस्वरूप को अपन साथ ले लियो ,केशव कहता है ऐ देख अमर हमय नाम नई लेनो , इमरान कहता है देखो ,हमय हेना तोरे संग फिर क्या का टेसंन हमय सब निपट लेगें कौनो फिक्र नी करना है....! 


 इतने घूप अंधेरे में सियार और जंगली जानवरों की डरावनी आवाज़ें आती रहती है ,एक चमगादड़ फड़फड़ाता हुई अमर के चेहरे से टकराती है सब चींख पड़ते है।रामस्वरूप कहता कि उतय से मत जाना, इते ही छोटी बहन को इते पेड़ पर फांसी दी थी ,आत्मा सुन्दर रुप धर कर भी आती है रिझाने, तीनों दोस्तों की जान मुंह को आ जाती है इतने में केशव का कुरता किसी पेड़ की सुखी टहनी में फंस जाता है। 


 वो चींखने लगता है जल्दी-जल्दी गलत -सलत मंञ पढ़ने लगता है ,आई तू बलाय तू बुरी बला को टाल तू ,केशव उस आत्मा के हाथ पैर जोड़ता है। कहता ऐ हमये छोड़ दो प्रेतनी जी जो तोहू कहोगी हमये करेंगे वो हे हमये साथ रामस्वरूप हेना वही तांत्रिक क्रिया करता हैं,उसेय पकड़ो हमये कुछ नाही करते।


पीछे देखे बिना ही खूब ताकत से कुरता खींचता है तो कुरता फट जाता है और वो अपनी जान छुड़ा कर गाँव की तरफ भाग आता है,घर पहुँच कर थरथर कांपता रजाई में घुस कर सो जाता है। सुबह जब माँ केशव को उठाती है तो बहुत तेज बुखार रहता है उससे पूछती #कबय आयो था तू घर वो रात वाला किस्सा बताता है तो माँ फौरन ही झाड़ू -फूंक वाले बाबा को बुला लेती है। 


अनपढ़ माँ कहती है ,हमय बाबुआ को हवेली वाली चुड़ैल लग गई है। 


बाकी लोग दौड़ लगा देतें है डर के मारे , गाँव पहुँच कर ही सांस लेते हैं। दोनों दोस्त जब सुबह मिलतें हैं तो बड़ा फिक्र करते हैं केशव केसा होगा, दोनों रामस्वरूप तांत्रिक को कोसते हैं,सबु उस तांत्रिक की वजह से हुआ गाँव की भाषा में गालियाँ देते हैं। 


 अमर कहता हैं ऐ इमरान चल अपन केशव का हाल मालूम कर आएं, साले रात को तो भाग आए अकेला छोड़ कर, अरे वो क्या हेना ... ..गाली बक कर तो अपनी जान बचाते या उसकी जान बचाते। 


वो रमा काकी हेना अपन दोनों की जान ले लेंगी,दोनों चाय की दुकान पर चाय पीते रहते हैं। 


तब ही गाँव में अफवाह फैली हुई है कि कल हवेली वाली प्रेतात्मा ने गाँव के सरपंच के छोटे बेटे को उठा ले गई। अब तो अमर और इमरान का डर बढ़ जाता है। दोनों आपस में कहतें हैं होना -हो कल वही चुड़ैल थी जो केशव को पकड़ती है, अरे चल-चल केशव को देखतें है वो आया के नहीं घर, कहीं उसको तो नहीं उठा ले गई। 


केशव के घर पहुँचते हैं तो उसकी बहुत बुरी हालत रहती है बेहोशी की हालत में चींखें मारता है । 


रमा काकी कहती है ,हमार बबुआ तमय साथ गयो था तमहं बताओं इको काय हुआ ,इकी यह हालत काय हुई, अमर और इमरान चुप रमा काकी चींख पड़ती है तमय दोनों लोगों के साथ बिगड़ गया है हमय ने इते समझाया मत रहो, मगर कबहूँ हमयं सुन ले । अब तमय बताओं कौनो मौलाना, तांत्रिक को लावत हो बताओं ज़रा। हमय तो यही एक सहारा है, 


इका बापू तो जवानी में हमय छोड़ कर मर के चलत गयो। 


 रमा काकी की आंखों से आंसू , नाक साड़ी से पोछ- पोछ कर दहाड़ मार-मार रो-रो कर आसमान सिर पे उठा लिया। 


इमरान और अमर बुरे फंसे दोनों काकी को बोल कर निकलते हैं हमय देखत है कौनो तो ढ़ूढ़ कर लात है आप चिंता मति करो । केशव को थोड़ा होश आता है तो वो नोचने काटने लगता है और घर में भागता है इधरउधर सब घर वाले मिल कर रस्सी से बांध देतें है। 


 अमर और इमरान पहुंचते हैं गाँव के थोड़े पढ़े लिखे आदमी के पास वो इन दोनों को उन जुड़वां बहनों की हत्या कैसे हुई ये बताता है पुरानी हिस्ट्री। 


 अब उससे कहते हैं आप ही कौनो रास्ता बताओ हमये दोस्त को उनय चुड़ैलों से छुड़ाने का, वो एक तांत्रिक का पता देता है बहुत जानकार है मदद कर सकता है। 


 गाँव के पास ही टपरी में पड़ा रहता है भांग का नशा करके वही कौनो मदद कर सकता है, दोनों दोस्त उसके पास जातें हैं सारी स्थिति बतातें हैं, वो सनकी रहता है , फिर भी मदद करने को तैयार हो जाता है। कहता है उस केशव के घर चलते हैं, और उस आत्मा को उसके शरीर में लाने के लिए पूजन सामग्री और हवन कुंड बनाना पड़ेगा, फिर में पूजा में बैठ जाऊं तो कोई भी रूकावट नहीं होना चाहिए। 


 घर में परेशान थे तांत्रिक आया तो राहत की सांस ली तांत्रिक लगा मंत्र उच्चारण करने , रमा काकी लगी अपनी सुनाने हमाय बाबुआ को काय हो गयो बाबाजी आप इको ठीक कर दयो अमर ने काकी को एक तरफ बिठाया आप इतय सांति से बैठो, तांत्रिक ने इमरान को अलग ले जा कर कहा मामला मुश्किल है हमये कोशिश करते हैं देखत है कछु हो सकत है का। इमरान ने कहा अरे नई बाबाजी आप ही इस चुड़ैल को निकाल दियो हमार दोस्त को ठीक कर दियो। 


 अमर और इमरान को बाबाजी तांत्रिक चीज़े मंगाते है हवन करना है चंदन, नींबू, और पूजन की सामग्री ले आओ, भभूत हमय यहाँ पर बीच आंगन में चौक बनाते हैं गंगाजल से पवित्र करके और हमय घेरों बनाय देय हैं कोई भी हमय नाही कहत , तब तक उमे नाही आवत घेरों में समझय क्य । 


सब गाँव के कई तमाशबीन इकट्ठा हो गए सबको बाहर निकाला के तांत्रिक ने चारों कोनों पर चौक बनाएं और नींबू मंत्र पढ़ कर रखें मंत्रोच्चारण के साथ घेराबंदी कर के *केशव*को बिठाया और हवन में अग्नि प्रज्ज्वलित की और मंत्रोच्चारण से आहुति दी और जैसे ही आग भभकी वैसे ही केशव उछलने लगा, तांत्रिक केशव के शरीर में उसे बुलाने लगा कौन है तू प्रकट हो एक औरत की आवाज़ सुनाई दी तू मुझे क्यों बुला रहा है। तांत्रिक कहता है इको क्य परेशान कर रही है, चुड़ैल गुस्सा होती है ये हमय हवेली में क्य आया था। तांत्रिक बहुत बुलाता है पर वो नहीं आती है फिर तांत्रिक अपने भाले पर सिन्दूर लाल धागा बांध कर मंत्रोच्चारण करता है फिर नींबू पर सिन्दूर लगा कर में तुझे मार दूंगा नींबू में भाला घूसाता है। चुड़ैल तड़प कर कहती हमय जा रहे हैं इते छोड़ कर । मगर हमय इंसाफ चाहिए वो जमींदार के यहाँ काम करता था यहाँ गाँव का राघवेंद्र उसने मुझे , मेरी बहन को बोहत ही जुलम किया था । तांत्रिक कहता है तो हमय केय करना बो बता जिससे तुझे मुक्ति मिल जाए। 


 बस हमय उते हवेली में हमय के और बहन सुन्दरी के नाम से हवन हमय क्रिया -कर्म कर दियो पांच ब्राह्मण को खाना खिला कर हमय अस्थियों का नदी में विसर्जनकर दियो हमय इस पिशाच योनि से मुक्ति मिल जाएगी ये कह कर वो गायब हो गई। 


 केशव बेहोश रहा फिर ठीक हो गया रमा काकी सारे देवी-देवताओं की धन्यवाद करने लगी और तांत्रिक को भी खुब रो-रो कर दुआएं दी। तांत्रिक से कहने लगी हमय बताना हवेली कोनो दिन करना है ये क्रिया कर्म हमय खुद ही इंतजाम करें हैं उसकी आत्मा की मुक्ति के लिए बस बाबाजी आप दिन बताई दियो । 


 केशव के दोस्त भी इमरान और अमर भी खुश के उनका दोस्त अच्छा हो गया।


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