प्रेम-विवाह
प्रेम-विवाह


आज संध्या को खुद के फैसले पर गर्व हो रहा था, उसने नीरज से प्रेम विवाह कर कोई गलती नहीं कि,सब रिश्तेदार दोस्त सबने मना किया था कि प्रेम विवाह ठीक नहीं होता।
लेकिन विवाह के पांच वर्ष बाद आज उसे सन्तान प्राप्ति हुई दोनों ही खुश थे संध्या ने महसूस किया नीरज को सन्तान के आने की कितनी खुशी है,लेकिन कभी भी इन पांच सालों में उसने संध्या को बुरा नहीं कहा। डॉक्टर ने कहा था संध्या कमज़ोर है उस पर उसकी बिगड़ती सेहत के कारण वे इतने वर्ष निःसन्तान रहे। नीरज ने हमेशा उसका ध्यान रखा। हमेशा वह यही कहता तुम साथ हो तो सब मुमकिन है और आज उनका जैसे सपना पूरा हो गया।
एक सन्तान जो उनका अंश थी उनके प्रेम का प्रतीक थी आज उनकी गोद में थी। संध्या को आज महसूस हुआ मेरा निर्णय सही था,वह सोचने लगी लोगों के कहने पर प्रेम विवाह न करना ये पुरानी रवायत है।
यदि दो लोगों के मध्य प्रेम हो तो चाहे प्रेम विवाह हो या परिवार की सहमति से वह सफल होता है और यदि प्रेम न हो तो सफल होने का सवाल ही नहीं। आज संध्या जान गयी विवाह का सफल होना व्यक्ति के स्वयं के स्वभाव पर निर्भर होता है न कि प्रेम विवाह या अरेंज विवाह के ठप्पे पर। संध्या खुश थी अपने वैवाहिक जीवन में और इस नई सन्तान ने तो जैसे आते ही सन्ध्या और नीरज की ज़िंदगी में नए रंग भर दिए उनके प्रेम के रंग को और भी गाढ़ा कर दिया।