Find your balance with The Structure of Peace & grab 30% off on first 50 orders!!
Find your balance with The Structure of Peace & grab 30% off on first 50 orders!!

Piyush Goel

Abstract Inspirational

3  

Piyush Goel

Abstract Inspirational

प्राइवेट स्कूल की समस्या

प्राइवेट स्कूल की समस्या

4 mins
122


सुबह के 6:30 बज चुके थे, अलार्म घड़ी बज रही थी औऱ इस अलार्म घड़ी की आवाज़ से अपने बिस्तर से ना चाहते हुए भी मोहित उठ चुका था। मोहित को आज का दिन बिल्कुल पसंद नहीं है क्योंकि आज उसे दो दिन की छुट्टियों के बाद स्कूल में जाना है। मोहित जब अपने दोस्तों से मिलता तो वो बहुत खुश हो जाता पर अपने क्लास टीचर को वो बिल्कुल पसंद नहीं करता था। मोहित ने अपना होमवर्क पूरा कर लिया था और ना चाहते हुए भी वो स्कूल में चला गया।


कक्षा में क्लास टीचर जिसकी लम्बाई 5 फ़ीट 8 इंच थी और अपनी लम्बाई से दो गुना पेट था, वो अपनी कुर्सी पर बैठा हुआ था। मोहित को आने में कुछ देर हो गई थी जिसके कारण क्लास टीचर धर्मेंद्र उसपर बरस पड़ा


" तुम समय से क्लास में क्यों नहीं आते, भूलो मत यह तुम्हारा घर नहीं है, स्कूल है, आज तो तुम्हें क्लास के अंदर आने दे रहा हूं पर अगर कल से तुम देर से आए तो तुम्हें आने की जरूरत ही नहीं है।"


" सर ! आप मेरी बात को तो सुनिए....।"


"कुछ नहीं सुनना मुझे, तुम अपनी सीट पर जाकर बैठो और इतिहास की किताब निकालो ।"


धर्मेंद्र ने मोहित की बात को काट दिया। शायद वह यही चाहता था कि सिर्फ टीचर की बात सुनी जाए बच्चों की नहीं। खैर, इतिहास का पीरियड खत्म हुआ और अब था हिंदी का पीरियड। मोहित इस पीरियड को बिल्कुल पसंद नहीं करता था, लगभग 45-50 साल की बूढ़ी औरत जिसे क्लास में आने में दस मिनट लग जाती है, वो आकर बस बच्चों पर चिल्लाती थी। हिंदी की अध्यापिका क्लास में आकर बैठ गई और वो पढ़ाना शुरू करने ही वाली थी कि क्लास में चपरासी हाथ में एक लंबा से पर्चा लेकर आ गया और कहने लगा


"मैडम ! यह उन बच्चों के नाम है जिनकी दो महीने की फीस अभी तक जमा नहीं हुई है, आप एक बार क्लास में बता दीजिए।


"अच्छा, ठीक है ! जिन बच्चों की दो महीनों की फीस जमा नहीं हुई है, उनके नाम है - साक्षी, गौरव, मोहित, अभिषेक और कुनाल ।"


यह सुनना मोहित को बिल्कुल अच्छा नहीं लगता। दो महीने की फीस बकाया होने का सीधा मतलब है कि मोहित के परिवार की आर्थिक स्थिती अच्छी नहीं है। लंच का समय हो गया और मोहित के कुछ दोस्त मोहित के पास खाना खाने के लिए आ गए और मोहित से कहने लगे


" यार मोहित ! तुमने फीस जमा क्यो नहीं करी" ?


"तुम्हारे परिवार में सब ठीक तो है ना।"


" तुम किसी परेशानी का सामना तो नहीं कर रहे" ?


"तुम्हारे पापा का क्या काम है?"


मोहित के दोस्त तो मोहित से इस विषय में उसके प्रति सहानुभूति रखकर बात कर रहे थे पर क्लास के अंदर उन पांच बच्चों के बारे में इस तरह की बाते होने लगी


" पता नहीं, जब पैसे नहीं दे सकते तो बच्चों को प्राइवेट स्कूल में पढ़ाते क्यों है?"


" प्राइवेट स्कूल की फीस तो दी नहीं जाती बस सुविधाएँ लेनी आती है ।"


" मुफ्त में पढ़ने की आदत लग चुकी है इन लोगों को।"


बच्चों के पीठ के पीछे तो ऐसी बाते होने ही लगी और अब तो क्लास के बाकी बच्चों ने उन पांच बच्चों से बात से करना भी बंद कर दिया और उन्हें अपने से नीचे समझने लगे। इस भेद भाव के कारण मोहित, साक्षी, कुनाल, गौरव और अभिषेक मानसिक रूप से प्रताड़ित होने लगे। मोहित ने अपने मम्मी - पापा को फीस के बारे में बताया तो उन्होंने बात को टाल सा दिया।


तीन दिन बाद पाँचों के माँ बाप प्रिंसिपल आफिस में आ गए और प्रिंसिपल साहब से फीस कम करने की गुहार लगाई लेकिन प्रिंसिपल ने किसी की एक नहीं सुनी। क्लास के अंदर पाँचों बच्चों को एक मानसिक प्रताड़ना का सामना करना पड़ रहा था। बच्चों के साथ साथ अब टीचर भी इन पांच बच्चों को हीन दृष्टि से देखने लगे। पूरी क्लास में सबको पता चल चुका था कि इन पांच बच्चों की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है। अंत में इन पांचों को इनके माँ - बाप ने सरकारी स्कूल में दाखिला दिलवा दिया।



Rate this content
Log in

More hindi story from Piyush Goel

Similar hindi story from Abstract