Piyush Goel

Others

4  

Piyush Goel

Others

प्राची की दीवाली

प्राची की दीवाली

2 mins
409


पटाखों की आवाज़ पूरे आसमान में गूंज रही थी । कोई अनार जला रहा था , कोई फिरकरी तो कोई कुछ और । हर तरफ खुशी का माहौल था पर इस खुशी के माहौल में प्राची के चेहरे पर उदासी छाई हुई थी । इस दीवाली भी अपने परिवार से दूर रहने के कारण उसका अपने होस्टल में मन नही लग रहा था । प्राची की सारी दोस्त दीवाली पर अपने घर चली गई थी और प्राची होस्टल मे अकेली रह रही थी ।

होस्टल की वार्डन प्राची से मिलने उसके कमरे में आई और बोली - " बेटी ! तुम दीवाली पर ऐसे अकेले कैसे रहोगी ? एक काम करो , तुम मेरे साथ मेरे घर चल पड़ो" । प्राची ने होस्टल वार्डन को मना कर दिया और होस्टल में ही रुकने के लिए कहा । वार्डन ने प्राची की बात मान ली । अब प्राची पूरे होस्टल में अकेली थी और पटाखों की आवाज़ सुनकर ही दीवाली के माहौल का मजा उठा रही थी ।


प्राची अपने कमरे से बाहर आकर बालकनी में खड़ी हो बच्चों को पटाखे जलाते देखने लगी । तभी उसकी नज़र पिला कुर्ता पहने एक युवक पर पड़ी जो कि अपने बेटे को पटाखे जलवा रहा रहा । उस युवक के बेटे की उम्र लगभग प्राची के छोटे भाई जितनी ही थी , प्राची उस छोटे से बच्चे में अपने भाई की कल्पना करने लगी । वो लोगो के अंदर अपने परिवार की कल्पना ही कर रही थी क्योकि वो अपने परिवार के साथ नही थी ।

शीघ्र ही वो अपनी कल्पनाओं से बाहर निकल वास्तविकता में आ गई और अपना ध्यान हटाने के लिए होस्टल के कमरे में आ गई लेकिन यह पटाखों की आवाज़ उसे बार - बार अपने परिवार की याद दिला रही थी और बार - बार उसका मन अपने घर वापस जाने के लिर व्याकुल हो रहा था पर वो क्या कर सकती थी ? और देखते ही देखते दीवाली का त्यौहार बीत गया पर दीवाली की उजली रात प्राची को अंधेरे में रहकर ही मनानी पड़ी ।



Rate this content
Log in