Nisha Singh

Romance

4.7  

Nisha Singh

Romance

पंछी

पंछी

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314



चेप्टर -7 भाग-3


‘ठीक हूँ ।’

‘नोट्स बना रही हो?’

‘हाँ…’

‘तुम बताओ कुछ कह रहे थे ना…’

‘हाँ… तुम प्लीज़ बुरा तो नहीं मानोगी?’

‘नहीं… तुम कहो तो हुआ क्या है?’ मैंने कहा तो रोहित के चेहरे को देख कर मुझे कुछ ऐसा महसूस हुआ कि वह कुछ कंफ्यूज़ सा है ।

‘ज्यादा सोचने की ज़रूरत नहीं है रोहित, क्या बात है वह बताओ…’

मेरी बात सुनकर वो इधर उधर देखने लगा । नज़रें मिलाने की हिम्मत नहीं हो रही थी उसकी कहता भी क्या…

‘ज़ल्दी बोलो रोहित मुझे घर भी जाना है ।’

बड़ी हिम्मत करके रोहित मुझसे बोला । आवाज़ धीमी लफ्ज़ लड़खड़ाते हुए पर मेरे समझने के लिए काफ़ी थे ।

‘अवनी… डू यू लाइक समीर?’

‘व्हाट… क्या कहा तुमने?’

‘वो… मेरा मतलब था कि मैंने तुम्हें कई बार समीर के साथ देखा है तो मुझे लगा शायद….’

‘क्या शायद… साफ़-साफ़ बोलो…’

मेरी आवाज़ में थोड़ी सी नाराज़गी झलक रही थी ।

‘तुम समीर को पसंद करती हो ना?’

‘पागल हो क्या… हम दोस्त हैं… बहुत अच्छे दोस्त… इस से ज्यादा कुछ नहीं ।’

इतना कहकर मैं उठ कर जाने लगी पर रोहित आकर मेरे सामने खड़ा हो गया ।

‘तो तुम समीर को पसंद नहीं करती हो ना… ठीक है… ।’

इतना कहकर रोजहत जाने लगा । पर इस बार रास्ता रोकने की बारी मेरी थी ।

‘रुको रोहित… तुमने ये सब क्यों पूछा?’

रोहित ने नज़रें घुमा ली । पर कहा कुछ नहीं… चेहरे पर हल्की सी मुस्कान ज़रूर थी ।

‘कॉफ़ी पियोगी?’

मैंने कुछ कहा नहीं और चुपचाप कैंटीन की तरफ़ चल दी ।

‘कहाँ जा रही हो?’

‘’कैंटीन… कॉफ़ी नहीं पीनी?


‘उत्तम अंकल… दो कॉफ़ी…’

रोहित ने ऑर्डर किया ‘कॉफ़ी काफी है या कुछ और भी…?’

‘नहीं… कुछ नहीं, कॉफी इज़ फ़ाइन..’

कुछ देर हम दोनों के बीच थोड़ी सी शांति छाई रही । कभी वह मुझे देख लेता तो कभी मैं उसे… बातों का आगाज़ तो किसी न किसी को करना था ।

‘कुछ कह रहे थे तुम…’

‘नहीं, मुझे तो बस… जो पूछना था सो पूछ लिया था, और कुछ नहीं…’

‘वजह जान सकती हं?’

‘कैसी वजह?’

‘मेरे और समीर के बारे में इतना इंटरेस्ट लेने की…’

‘नहीं कुछ खास नहीं… बस आज तुम्हें और समीर को कैंटीन में साथ देखा था उसे शायद कोई प्रॉब्लम थी तुम उसे कंसोल कर रही थी । तो बस यूं ही पूछ लिया…’

कॉफ़ी आ चुकी थी । पर मेरा ध्यान कॉफ़ी में कहाँ था, मैं तो बस रोहित की आंखें पढ़ने की कोशिश कर रही थी । काश… आज तक जो इन आंखों में देखा है वह ज़बान पर आ जाए । दिल चीख-चीख के पुकार रहा था कि बोल दो रोहित, प्लीज़ दिल की बात आज बोल ही दो पर कह नहीं पा रही थी ।

‘कॉफ़ी तो पियो… ठंडी हो जाएगी…’

‘हाँ…’

‘तुम्हें बुरा लगा हो तो सॉरी यार…’

‘वो सब छोड़ो तुम बस इतना बताओ कि इस इंटरेस्ट की वजह क्या है?’

‘छोड़ो ना… कोई खास वजह नहीं है ।’

तो आम वजह ही बता दो… अगर मानो तो मेरी कसम है, प्लीज़…’

‘ओह हो… यार’ रोहित की आवाज़ में मजबूरी साफ झलक रही थी । और मुझे ऐसा एहसास हो रहा था मानो कोई किला फ़तेह कर लिया हो ।


‘देखो अवनी… मैं तुम्हें बहुत पसंद करता हूँ, पहले दिन देखा था ना… तब से ही…’

मैं बिना कुछ बोले बस सुनती जा रही थी । दिल ज़ोर ज़ोर से धक् धक् कर रहा था । जानती तो सब कुछ पहले से ही थी पर कभी ये नहीं सोचा था कि ऐसा अचानक हो जायेगा । रोहित ऐसे अचानक आ कर मुझसे अपने प्यार का इज़हार करेगा ।

‘मैं नहीं जानता अवनी कि तुम ये सुनने के बाद मेरे बारे में क्या सोचेगी, मैं बस इतना जानता हूँ कि आज भी तुमसे नहीं कह पाता तो शायद… आय लव यू अवनी आय लव यू…’

कभी सोचा नहीं था की ये तीन लफ्ज़ मुझे शर्म से भिगा जायेंगे कि मैं कुछ बोल ही नहीं पाऊंगी । मैं भी रोहित को पसंद करती थी पर अल्फ़ाज़ थे जो ज़ुबां तक आने को तैयार नहीं थे ।

‘कुछ कहो न’ प्लीज़…’

क्या कहती… ज़ुबां साथ ही नहीं दे रही थी मेरा फिर भी कोशिश की ।

‘रोहित…’

‘हाँ, बोलो ना… क्या तुम्हें… डू यू लव मी अवनी?’

बहुत कोशिश की पर ‘हाँ’ नहीं निकला मुँह से ।

‘हम बाद में मिलते हैं रोहित…’

‘बाद में कब ?’

‘कल…’

‘मुझे दो दिन के लिए बाहर जाना है ।’

‘कोई बात नहीं दो दिन बाद सही ।’

‘तब तक…’

‘तब तक… बाय… मुझे जाना है अब… और मैं वहाँ से चली गयी । 



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