पिता की चिंता
पिता की चिंता
पिछले कई दिनों से देख रही हूँ आपके और बेटे राहुल के बीच की खाई बढ़ती जा रही है। शालनी ने रमेश को टोकते हुए पूछा। हाँ शालिनी अभी कुछ ही दिनों में उसने कम्पनी के बहुत से पुराने और हमारे भरोसेमंद कर्मचारियों की छुट्टी कर दी है।
उसकी नजर में वो सब अब किसी काम के नही ,पर इतने कम समय मे राहुल ने आपकी एक छोटी सी कम्पनी को कहाँ से कहाँ पहुंचा दिया। क्या ये उसकी काबिलियत नही।शालिनी ने अपने पति की बात को काटते हुए फिर कहा।
उसकी बात सुन अब रमेश बोला मुझे उसकी काबिलियत पर कोई शक नही, पर कम समय मे मिली इस शोहरत से उसने अब कम्पनी के सलाहकारों की सलाह लेना भी बंद कर दिया है।
फिर उसके पास अब हम लोगों से भी बात करने की फुर्सत नहीं है और दिन ब दिन बढ़ती अपनी इस उपेक्षा से लगता है, अब शायद हम भी उसकी नजरो में बेकार हो गए है।
और बेकार चीजों को अपने घर मे करीने से भला कौन सजाता है।
