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Avinash Agnihotri

Drama Romance Classics

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Avinash Agnihotri

Drama Romance Classics

pahnava

pahnava

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छुट्टी के दिन टहलने की अभिलाषा लिये जब घर के टैरिस पर पहुँचा। तो दूर चौराहे से आती एक युवा टोली की आवाजें मुझे आकर्षित करने लगी। में भी छत की मुड़ेंर से टिक उनकी ओर देखने लगा। वे करीब दस बारह थे। जो चौराहे पर समूह बना आपस मे हँसी ठिठोली कर रहे थे। मन अचानक ख़यालो में खो गया। ये भी क्या उम्र है,ना किसी की परवाह ना जिम्मेदारी का कोई अहसास।

की तभी उस युवाटोली के समीप से एक सुंदर युवती साड़ी के पल्लू से अपने मुँह तक का घूँघट लिये। सर को झुकाए संयमित चाल में निकली। उसे देख उस टोली में कुछ देर सन्नाटा पसर गया। फिर कुछ देर बाद एक अन्य युवती स्कर्ट पहने उनके समीप से निकली। पहनावे से वो किसी बड़े शहर की लग रही थी। उसके समूह के समीप आते ही सब नजर बचाकर उसे ही देखने लगे। और आसपास का सारा माहौल तालियों की आवाज व द्विअर्थी संवादों से गूंज उठा।


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