जुबां हृदय विदिर्ण कर मारती तिल तिल कर।" जुबां हृदय विदिर्ण कर मारती तिल तिल कर।"
आज वह खुद को शर्मिंदा महसूस कर रहा था। उसका रोम-रोम आत्मग्लानि से भर गया। आज वह खुद को शर्मिंदा महसूस कर रहा था। उसका रोम-रोम आत्मग्लानि से भर गया।
आज भी जब वो दृश्य याद आता है तो बरबस हंसी आ जाती है। आज भी जब वो दृश्य याद आता है तो बरबस हंसी आ जाती है।
भारत को 4 तरह के समूहों से भयंकर खतरा है भारत को 4 तरह के समूहों से भयंकर खतरा है
या तो अपने साथियों की ख्वाहिशों को स्वीकार करें या पृथ्वी से ग़ायब हो जाएँ या तो अपने साथियों की ख्वाहिशों को स्वीकार करें या पृथ्वी से ग़ायब हो जाएँ
कृतज्ञता ज्ञापित करने एवं वसन्त के हर्षोल्लास का भी पर्व है। कृतज्ञता ज्ञापित करने एवं वसन्त के हर्षोल्लास का भी पर्व है।